क्या हैं ऐश्वर्या राय ?

-अजय ब्रह्मात्मज
मिस व‌र्ल्ड, हिंदी फिल्मों की हीरोइन, मशहूर मॉडल या कुछ और? कई पहचानों की संश्लिष्ट अस्मिता में ऐश्वर्या राय से हम सभी ठीक से परिचित नहीं हो पाते। अगर सारी पहचानों से आंखें मूंद कर ऐश्वर्या राय के बारे में सोचें और आंखें खोलें तो कोमल खिलखिलाहट से भरी एक चंचल लडकी नजर आती है, जिसके मुस्कराते ही सतरंगी किरणें बिखरने लगती हैं और उसकी आंखों की नीली-हरी गहराई आमंत्रित करती है।
अपने समाज में लडकियों की स्वतंत्र पहचान नहीं है। इंदिरा गांधी भी आजन्म नेहरू की बेटी रहीं और आज की चर्चित नेता सोनिया गांधी भी राजीव गांधी की पत्नी हैं। लडकियां किसी भी ओहदे पर पहुंच जाएं, अपनी मेहनत और लगन से कुछ भी हासिल कर लें और अपनी मेधा से आकाश छूने का संकेत दें तो भी हम उन्हें किसी न किसी प्रकार मर्दो के घेरे में ले आते हैं। समाज उनकी उडान को सराहता है, लेकिन धीरे-धीरे उनके पंख भी कतरता रहता है। अगली बार जब वे उडान के लिए खुद को तौलती हैं तो डैनों में ताकत की कमी महसूस होती है, क्योंकि मर्यादा की आड में उनके पंख नोच लिए गए होते हैं।
बहुत जरूरी है ऐश्वर्या राय के व्यक्तित्व को समझना। वह हमारे बीच से उभरी एक ऐसी लडकी हैं, जिनका कद उनकी वर्तमान उपलब्धियों से ज्यादा है। अभी ऐश्वर्या राय के व्यक्तित्व के चंद पहलू ही सामने आए हैं। यकीन करें आने वाले सालों में उनकी पहलकदमी और चाहत से हम सभी चौंकेंगे। ऐश्वर्या राय को भी एहसास नहीं होगा कि वह कब इस ऊर्जा और क्षमता से भर गई। प्रतिभा, प्रशंसा और प्रतिष्ठा, निरंतर साधना और लक्ष्यभेद की एकाग्रता से हासिल होती है। छोटी उम्र में ही ऐश्वर्या राय को लग गया था कि वह एक दिन मशहूर होंगी। योग-संयोग तो बाद में होते हैं, पहले आत्म साक्षात्कार होता है। बुद्ध ने कहा था आत्मदीपो भव। सचमुच अंतस में चिराग जल जाए तो हर अंधेरा छंट जाता है। दुनिया रोशन होती है और रास्ते खुशगवार..। कल्पना करें सामान्य मध्यवर्गीय परिवार की एक लडकी क्या कभी शोहरत की इन बुलंदियों पर पहुंचने के ख्वाब देख सकती हैं? ऐश्वर्या ने भी नहीं सोचा होगा। हिंदी फिल्मों में कहते हैं न, दिल से ईमानदार ख्वाहिश करो तो सारी कायनात उसे पूरा करने में जुट जाती है।
घर का जोगी जोगडा, आन गांव का सिद्ध ऐश्वर्या पर यह मुहावरा चरितार्थ होता है। ऐश्वर्या राय की लोकप्रिय पहुंच की कद्र देश में नहीं हो सकी और न हो रही है। यहां हम उन्हें कभी सलमान खान, कभी विवेक ओबेराय तो कभी किसी और के साथ जोडकर चटखारे लेते हैं। ऐश्वर्या राय इन संबंधों तक सीमित नहीं हैं। वह भारत की लोकप्रिय पहचान बन चुकी हैं। मीडिया विस्फोट के इस दौर में इंटरनेशनल बाजार ऐश्वर्या राय की इमेज को सही ढंग से परख कर लाभ कमा रहा है। विदेशी शहरों और चौराहों पर मल्टीनेशनल कंपनियों के उपभोक्ता उत्पाद की प्रति आकर्षित करने में बाजार उनका इस्तेमाल कर रहा है। इसे अनायास या जुगाड कह कर नहीं टाला जा सकता कि ऐश्वर्या राय भारत की एकमात्र ऐसी अभिनेत्री हैं, जिन्होंने हॉलीवुड की फिल्मों में समान हैसियत के साथ प्रवेश किया है। हॉलीवुड की फिल्में मानदंड नहीं हो सकतीं, लेकिन इंटरनेशनल मार्केट में वैसी फिल्मों में किसी कलाकार की मौजूदगी से दबदबा बनता है। ऐश्वर्या राय एक ब्रैंड हैं। ऐश्वर्या राय यूथ आइकॉन हैं। ऐश्वर्या राय विदेशों में इंडिया का पर्याय हैं। लोकप्रिय संस्कृति और उसके प्रतिनिधियों को हिकारत से देखने वाले इस सच को स्वीकार करने से पहले नाक-भौं सिकोड सकते हैं, लेकिन आज इंडिया का नाम लेते ही महात्मा गांधी के साथ ऐश्वर्या राय का भी स्मरण होता है आम विदेशियों को लंदन के मादाम तुसाद के म्यूजियम में ऐश्वर्या राय का मुजस्समा भी लगा है।
अभिनेत्री के तौर पर बात करें तो हिंदी फिल्मों में उनकी चंद अविस्मरणीय छवियां हैं। हम दिल दे चुके सनम में कहानी शुरू होने के पहले कुलांचे भरती हुई किसी हिरणी की तरह पलटकर विस्मित नयनों से देखती ऐश्वर्या राय की चपलता को संजय लीला भंसाली ने संतुलित गति और ठहराव के साथ कैमरे में कैद किया था। संजय लीला भंसाली की ही फिल्म देवदास में पारो की जीती ऐश्वर्या अपनी समृद्धि में भी भावनात्मक विपन्नता को जाहिर करती है। पारो का दर्द और द्वंद्व दर्शकों तक पहुंचता है। गुरु की सुजाता चरित्रांकन की सीमाओं के बावजूद हमें भारतीय नारी का साक्षात्कार कराती है।
जीवन और व्यवहार में ऐश्वर्या राय की सरलता प्रभावित और सम्मोहित करती है। लोकप्रिय और प्रतिष्ठित व्यक्तियों की समस्या और दुविधा रहती है कि वे हर किसी के साथ सामान्य व्यक्ति-सा व्यवहार नहीं रखते। पेशे की जरूरतें ओर इमेज की चिंता उन्हें सार्वजनिक जीवन में सहज नहीं रहने देती। ऐश्वर्या राय के पास एक अचूक अस्त्र है , वह किसी भी असहज स्थिति में खिलखिलाती हैं और आपकी जिज्ञासा को अपनी हंसी की लहरों के साथ दिल के दरिया में डुबो देती हैं। जवाब अनकहा रह जाता है, मर्म आप समझ लेते हैं। ऐश्वर्या राय को कभी झल्लाते, कुढते या सहमते नहीं देखा। वास्तव में यह लोकप्रियता का आत्मविश्वास है, जो कानपुर से कान तक उन्हें ताकत देता है।
एक साक्षात्कार में आत्मीय उद्गारों के मध्य उन्होंने कहा था, मैं मामूली चिंताओं की औसत औरत हूं। ऐश्वर्या राय की मामूली चिंताएं दूसरी लडकियों से कम या ज्यादा नहीं हैं, फिर भी वह मीडिया और प्रशंसकों के सवालों, संदेहों और संशयों के चक्रव्यूह में फंसी रहती हैं। कई बार लगता है कि वह कुछ कहते-कहते रुक जाती हैं। उनकी तसवीरों में भी यह उद्विग्नता और अचकचाहट दिखती है। ऐश्वर्या राय ऐसी प्रतिभा हैं, जो अभी तक पूरी तरह से प्रस्फुटित नहीं हुई हैं। कहा नहीं जा सकता कि भविष्य के गर्भ में उनके और कौन से पहलू आकार ले रहे हैं इतना भरोसा किया जा सकता है कि ऐश्वर्या के प्रस्फुटन को नहीं रोका गया तो वह अपने रंग और खुशबू से हमारी दुनिया को और भी मोहक एवं रोचक बनाएंगी।

Comments

Anonymous said…
ऐश्वर्या राय पर इतना सारगर्भित लेख मैंने पहले नहीं पढ़ा.आभार चवन्नी, इस लेख के लिए.
वाकई , इन कामिनी जी का कथन सत्य है। ऐश्वर्या रॉय पर ऐसा लेख पहले कभी देखने को नही मिला!!
आभार
This comment has been removed by the author.
शायद राखी सावंत ऐश्वर्य राइ से ज्यादा प्रतिरोधक्षम्मतापूर्ण है. जबकि ऐश्वर्य राइ भारतीय नारियता के दायेरे में रहती हैं (शादी, अमिताभ बच्चन का कथन की वह गृहस्त के लिए उपयुक्त है http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/1483650.cms). हम अभिषेक बच्चन से यह अपेक्षा क्यों नहीं करते. क्यों नारी को अपने गृहस्त अनुकूलता का प्रदर्शन करना जरूरी है? राखी सावंत मिडिया उप्कारित सामाजिक चेतना में ऐश्वर्य के विपरीत पहलू का एक मिसाल हैं और दूसरी तरफ़ हैं मायावती, अरुंधती रौय जैसी नारियां.
हेमा मालिनी के पुस्तक पर मैंने यहाँ कुछ अंग्रेज़ी में टिपण्णी किया है (http://subalterncinema.com/kishore/2007/02/20/can-stars-speak/)
Anonymous said…
किशोर मैं आप से सौ फीसदी सहमत हूं.राखी पर अलग से कभी लिखूंगा.देखने की जरूरत है कि कब तक ऐश्वर्या एक्टिंग में एक्टिव रहती हैं और सार्वजनिक जीवन में उनकी सक्रियता बनी रहती है.वह प्रतिभाशाली अभिनेत्री नहीं हैं,लेकिन एक ब्रांड के रूप में उङहोंने जाे हासिल किया है ...उसे हम क्यों नजरअंदाज करें?
अजय जी. मैं आपके तर्क को स्वीकार कर्ता हूँ. मेरे टिपण्णी का यह तात्पर्य नहीं था की आपके तर्क में ऐश्वर्य कि आलोचना नहीं है. लेकिन क्योंकि अब आपने अपने टिपण्णी के मूल का खुलासा किया है -- ब्रेंड और सेलिब्रिटी कल्चर (यशस्वी लोगों में रूचि कि संस्कृति) -- हमें थियोडोर अडोर्नो के सिद्धांतों कि तरफ़ एक नज़र घुमाना चाहिए.
थियोडोर अडोर्नो के सिद्धांतों के बारे में इस वेबसाईट पर अंग्रेज़ी में अच्छा विषय प्रवेश है http://www.theory.org.uk/ctr-ador.htm
Udan Tashtari said…
अच्छा लगा एश्वर्या राय के बारे में इतने विस्तार से एक अलग अंदाज में इस लेख को पढ़कर. आभार.
भई अजयजी,
हम तो आपके फॅन हो चुके. क्या बात है! क्या अलग अंदाज है आपकी सोच और कलम का ! मजा आ गया.
Anonymous said…
I am agree with it. its really true that aish is a very cute actress.

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