अपना आसमान के बहाने यथार्थ का धरातल

-अजय ब्रह्मात्मज
कौशिक राय ने विशेष किस्म के बच्चों और उनके माता-पिता के रिश्तों को लेकर अत्यंत संवेदनशील फिल्म बनाई है। ऐसे विषयों पर कम फिल्में बनी हैं। सुना है कि आमिर खान की फिल्म तारे जमीं पर की भावभूमि भी यही है। वहां किरदार और रिश्ते अलग हैं।
मध्यवर्गीय परिवार के रवि (इरफान खान) और पद्मिनी (शोभना) के खुशहाल परिवार में बुद्धि (ध्रुव पियूष पंजनानी) के आने से नई खुशी आती है। एक दिन बुद्धि रवि के हाथों से गिर जाता है। बुद्धि के थोड़ा बड़ा होने पर रवि और पद्मिनी पाते हैं कि उनका बेटा अन्य बच्चों की तरह सामान्य नहीं है। वह ठीक से बोल नहीं पाता। कुछ भी सीखने में ज्यादा समय लेता है। वे उसे सामान्य रूप में देखने के लिए हर कोशिश करते हैं। डाक्टर से लेकर चमत्कार तक आजमाते हैं। एक चमत्कारी दवा से बुद्धि तेज दिमाग का लड़का बन जाता है लेकिन उसके बाद दूसरी परेशानियां आरंभ होती हैं, जो माता-पिता के साथ ही बुद्धि को भी भावनात्मक रूप से झकझोर देती हैं।
अपना आसमान का स्पष्ट मैसेज है कि अपने विशेष बच्चे की विशेषताओं को समझें और उसे उसी रूप में स्वीकार करें। उन्हें दया या सहानुभूति से अधिक प्यार और स्वीकार चाहिए। शोभना और इरफान ने माता-पिता की चिंताओं और दुविधाओं को बहुत अच्छी तरह चित्रित किया है। रवि अपनी स्थितियों में ही विनोद पैदा करता है। वह प्लास्टिक कंपनी में काम करता है। फिल्म में उसके पेशे का रूपात्मक उपयोग किया गया है। हिंदी फिल्मों के चालू मसालों से अलग किस्म की फिल्म देखने के शौकीन दर्शकों को अपना आसमान पसंद आएगी।

Comments

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

सिनेमालोक : साहित्य से परहेज है हिंदी फिल्मों को