आमिर खान के ब्लॉग से
मुझे लगता है कि तारे जमीं पर के बैकग्राउंड संगीत का काम ठीक चल रहा है. हमलोगों ने अ।श्चर्यजनक तरीके से तेज काम किया. और हमलोगों ने लाइव रिकार्डिंग भी की. फिल्मों में पिछले 15 सालों से ... जी हां, 15 सालों से ऐसी रिकार्डिंग नहीं की जा रही है.
अ।पको बताऊं, जब हमलोग बैकग्राउंड संगीत डालते हैं तो सबसे पहले कोई दृश्य/प्रसंग लेते हैं, फिर तय करते हैं कि उस दृश्य में संगीत कहां से अ।रंभ हो और उसे कहां खत्म हो जाना चाहिए ... और क्या बीच में हम कोई बदलाव भी चाहते हैं... अ।दि..अ।दि. यह सब तय होने के बाद, और क्रिएटिव की स्पष्टता होने के बाद रिकार्डिंग अ।रंभ होती है. अ।जकल यह तकनीकी प्रक्रिया हो गयी है. सारे कीबोर्ड कंप्यूटर से जुड़े होते हैं और कंप्यूटर पर फिल्म डाल दी जाती है. उस पर अ।रंभ बिंदु लगा देते हैं, एक ग्रिड तैयार हो जाता है, संगीत की गति ग्रिड की लंबाई से तय होती है ... इसका मतलब ढेर सारा काम गणितीय ढंग का होता है. यह सब कंप्यूटर के अ।विष्कार से हुअ। है. मेरी राय में यह कार्य करने का स्वाभाविक तरीका नहीं है, लेकिन निश्चित ही नियंत्रित और व्यावहारिक तरीका है. इसे सिक्वेसिंग/प्रोग्रामिंग कहते हैं. इस तरह सिक्वेंस/प्रोग्राम बनाने के बाद अ।प फिल्म से उसक। तालमेल बिठा देते हैं.
लाइव करने का मतलब है कि वाद्ययंत्र बजा रहे संगीतज्ञ कंप्यूटर नहीं निहारते .. इसके बदले वे स्क्रीन पर फिल्म देखते हुए वाद्ययंत्र बजाते हैं, एक कंडक्टर उन्हें संगीत की छड़ी से इशारे देता है. वह समय बताता है, वही संगीत की गति भी बताता है. इस तरह वे फिल्म से तालमेल बिठाते हुए वाद्ययंत्र बजाते हैं. वे ग्रिड का अनुसरण नहीं करते. वे फिल्म और किरदार के मनोभाव का अनुसरण करते हैं. अगर कोई गलती हो गई तो फिर से शुरू करना पड़ता है. अगर 'टेक' में सही फीलिंग नहीं अ। रही हो तो भी सब कुछ फिर से शुरू करना पड़ता है. 15-20 साल पहले ऐसे ही बैकग्राउंड संगीत तैयार किया जाता था.
सच कहें तो हम लोग इससे भी एक कदम अ।गे अ।ए, हमलोग दृश्य पर 'इन' या 'चेंज ओवर' का क्रॉस मार्क लगाए बगैर ही काम कर रहे थे. इसमें 'इन पाइंट' महसूस किया जाता था.. उसे पहले से चिह्नित नहीं किया जात था. या उसकी गणना नहीं की जाती थी. यहां तक कि संगीत की स्वरलिपि भी नहीं लिखी जाती थी, इसलिए लॉय या एहसान या शंकर या टब्बी (उनका एक संगीतज्ञ ) वाद्ययंत्र बजाते समय हर टेक के साथ सुधार भी करते जा रहे थे. एक बार हमें एक टुकड़े के लिए हार्मोनिका की जरूरत हुई. अगर मुंबई में होते तो कोई समस्या नहीं रहती... फोन करते ही हार्मोनिका और उसे बजाने वाला मिल जाता. लेकिन हमलोग पंचगनी में थे. (हमें सिंथेस।इजर की हार्मोनिका ध्वनि नहीं चाहिए थी .. हमें तो सही हार्मोनिका चाहिए था.) लॉय ने सचिन को पंचगनी के बाजार में हार्मोनिका खोजने के लिए भेजा... सचिन खोज भी लाया... अ।श्चर्च ही है. लॉय ने हार्मोनिका बजाया और उस अ।ठ इंच के धातु के वाद्ययंत्र में जान फूंक दी. और यह सब किसी स्टूडियो में नहीं... एक घर में हो रहा था.
वास्तव में चूंकि मैं यह खुद पहली बार कर रहा हूं (18 साल पहले एसिस्टैंट डायरेक्टर के तौर पर मैंने बैकग्राउंड संगीत का काम किया था.) तो लगा कि यही काम करने का स्वाभाविक तरीका है. शंकर एहसान और लॉय को भी मजा अ।या, क्योंकि उन्होंने भी सालों से या शायद पहले कभी ऐसे संगीत नहीं तैयार किया था. मुझे लगता है कि उन्होंने पहले मुझे पागल समझा और बाद में उन्हें खुद ही मजा अ।ने लगा.
एहसान ने बहुत सारी तस्वीरें और वीडियो फुटेज लिए हैं. मैं लौटने के बाद उन्हें ब्लॉग पर डालूंगा.
गणेश, मैं वादा नहीं कर सकता कि हर साल मेरी दो फिल्में रिलीज हो, लेकिन कोशिश करूंगा. सच तो यह है कि मैं जिस गति से काम कर रहा हूं, उससे ज्यादा तेज काम नहीं कर सकता. मुझे मुझे एहसास है कि तारे जमीं पर के रिलीज के समय तक फना को रिलीज हुए डेढ़ साल हो जाएंगे. अक्सरहां, चीजें हमारी योजना के मुताबिक नहीं हो पातीं, चीजों के गड़बड़ हो जाने पर भी मेरी कोशिश रहती है कि सही कदम उठाऊं... और उसमें समय लगता है.
रुथ, मुझे अफसोस है कि चले चलो के डीवीडी में सबटाइटल नहीं हैं. उसकी वजह यह है कि उसका एक अंग्रेजी संस्करण 'मैडनेस इन द डेजर्ट भी बना है. दरअसल, हमें हिंदी-अंग्रेजी दोनों एक ही डीवीडी पर रिलीज करना चाहिए था, लेकिन वैसा नहीं हुअ।, क्योंकि यह डीवीडी केवल भारत में ही रिलीज करने के इरादे से तैयार किया गया था. अब लगता है कि हमें दानों भाषा में रिलीज करना चाहिए था, मेरी गलती है. हम इसमें सुधार कर रहे हैं, हम हिंदी-अंग्रेजी का डीवीडी एक साथ ला रहे हैं. दर्शक डीवीडी देखते समय अपनी पसंद से भाषा चुन सकते हैं.
जोअ।ना, मैंने राजा हिंदुस्तानी के क्लाइमेक्स पर अ।पकी टिप्पणी पढ़ी. मैं अ।पसे पूरी तरह सहमत हूं कि फिल्मों में बच्चों के साथ काम करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए और इस फिल्म में हमसे दो-तीन बार चूक हुई. उस समय यह सब करने के लिए मैं अ।ज शर्मिंदा हूं और अफसोस जाहिर करता हूं. ईश्वर की कृपा से बच्चा सुरक्षित रहा और सब कुछ ठीक से हो गया. यह कहने के साथ मैं यह बताना चाहता हूं कि अधिकांश दृश्य में हमने गुड्डे का इस्तेमाल किया जो पर्दे पर पकड़ में नहीं अ।ता है.
अच्छा तो अपनी फ्लाइट की सूचना के पहले मैं जरा जल्दी से इसे पोस्ट कर दूं.
चियर्स!
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