मैं जिंदा हूं, हां जिंदा हूं-आमिर खान



बुधवार, 19 सितंबर, 2007

अ।उच! 2000 से ज्यादा पोस्ट मिले अ।पके. लगता है मेरी मुश्किलें बढ़ेंगी. फिर भी यही कहूंगा कि नंबर बढ़ता देख खुशी होती है.
सभी को मेरा हेलो! इतने दिनों तक गायब रहा. अ।पसे कटा महसूस करता रहा, खासकर जब देखता हूं कि अ।प हूं कि अ।प मेरे बगैर भी अपने काम में मशगूल हैं. लगता है कि मैं पीछे छूट गया.
सोच रहा हूं कि पहले अ।पके पोस्ट पढूं या अपना पोस्ट लिखूं... अभी पूरी नहीं पढ़ पाया हूं. कुछ पन्नों को पढ़ कर ही लग रहा है कि मजेदार चीजें छूट रही थीं. ठीक है, मैं अपना काम जल्दी कर लूं.
मैं अभी ब्रुसेल्स में हूं... मुंबई के रास्ते में. एक सम्मेलन के सिलसिले में 4-5 दिन अमेरिका में था.
मैं वादा करता हूं कि तारे जमीं पर का पहला क्रिएटिव मेरे ब्लॉग पर अ।एगा. अ।प लोग सबसे पहले उसे देखेंगे. अ।ज कल मैं उसी पर काम कर रहा हूं.
शंकर... अ।पको अपने ब्लॉग पर देखकर खुशी हो रही है. पंचगनी में सब कुछ रहा.
दोस्तों मशहूर शंकर एहसान लॉय के शंकर की बात कर रहा हूं. शायद अ।प सभी को मालूम होगा कि वे ही तारे जमीं पर के संगीतकार हैं. शंकर पंचगनी की याद दिला रहे हैं. हमलोग तारे जमीं पर के बैकग्राउंड संगीत पर वहां काम कर रहे थे. पंचगनी में मेरा एक घर है. मुंबई से चार घंटे की दूरी पर बसा यह एक हिल स्टेशन है. इसे अंग्रेजों ने गर्मी के अ।रामगाह के तौर पर विकसित किया था. चित्रों की तरह सुंदर यह छोटा शहर शांत और नीरव है. घाटी का सुंदर नजारा मिलता है. एक छोटा सा बाजार है. 50 के लगभग बोर्डिंग स्कूल हैं और कुछ पुरानी शैली के सुंदर मकान हैं. मैं भाग्यशाली हूं कि पिछले साल मैंने वहां पर एक मकान खरीदा. स्थानीय लोग मैत्री भाव रखते हैं और गर्मजोशी से मिलते हैं. पिछले कुछ सालों में पंचगनी मुंबई और पुणे के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गया है. लोग घूमने अ।ते हैं. घाटी में तैरते पैराशूट देखकर मैं कह सकता हूं कि यह पैराग्लाइडिंग के लिए भी मशहूर हो रहा है.
संयोग ही है कि हमलोगों ने तारे जमीं पर की अधिकांश शूटिंग पंचगनी में ही की.
शेष कल ...

Comments

Anonymous said…
वाह। आमिर ख़ान वाकई दिल से ब्‍लॉगिंग को अपना वक्‍त दे रहे हैं। आप एक काम तो कर ही सकते हैं। जिन कलाकारों का हिंदी से घरापा है, उन्‍हें हिंदी में ब्‍लॉग बनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
आमिर साहब के ब्लॉग पर एक दो बार जाना हुआ, बढ़िया लिखते है ( अगर खुद लिखते हैं तो) पर अफ़सोस की हिंदी में नही लिखते! रवि रतलामी जी और हमने उनसे कमेंट में निवेदन भी किया कि अगर आप हिंदी में लिखें तो बेहतर होगा पर …
chavannichap said…
चवन्नी की कोशिश है कि आमिर खान समेत सभी एक्टर,डारेक्टर और तकनीकी क्षेत्र के लोगों का लेखन हिंदी में आ जाए.उसी कोशिश में अनुराग कश्यप का आलेख डाला था चवन्नी ने.अगर चवन्नी के पाठक प्रोत्सािहत करेंगे तो उन सभी से हिदी में लिखवाने का प्रयास भी होगा.वैसे हिंदी में लिखा पाना उनके लिए टेढ़ी खीर है.

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