सलमान खान के प्रशंसक ना पढ़ें
अगर आप सलमान खान के प्रशंसक हैं तो कृपया इसे ना पढ़ें.चवन्नी यहाँ कुछ ऐसी बातें करने जा रहा है ,जिससे आप को ठेस पहुंच सकती है. चवन्नी भी सलमान खान को पसंद करता है.परदे पर जब सलमान के ठुमके लगते हैं तो चवन्नी भी सीट पर उछलता है.सलमान का अंदाज़ चवन्नी को भी पसंद है.लेकिन परदे के बाहर सलमान के बर्ताव की तारीफ़ नही की जा सकती.ऐसा लगता है और यही सच भी है कि सलमान केवल अपने अब्बा के सामने खामोश और शरीफ बने रहते हैं.भाई- बहनों से उन्हें असीम प्यार है और अपने दोस्तो की भी वे परवाह करते हैं.उनको सबसे ज्यादा प्यारे माईसन और माईजान हैं ,इनके अलावा और किसी के प्रति ना तो उनके मन में इज़्ज़त है और ना ही वे परवाह करते हैं कि कौन क्या सोच रहा है.अभी जेल से छूट कर आने पर किसी टीवी पत्रकार ने उनसे पूछ दिया कि उनके घर वालों की क्या प्रतिक्रिया रही तो सामान्य तरीके से जवाब देने के बजाय उनहोंने कह कि मेरे घर वालों को मेरा जेल से आना बहुत बुरा लगा.जाहिर सी बात है कि सवाल का जवाब उनहोंने मजाक में दिया,लेकिन अमूमन उनका यही रवैया रहता है.पिछले दिनों हिंदुस्तान टाइम्स का रिपोर्टर उनसे भिड़ गया था.सलमान की आदत है कि वे सीधे मुँह किसी से बात नही करते.उनके आसपास चापलूसों की जमात रहती है,जो उन्हें सिर पर चढाये रहते हैं और उनकी हाँ में हाँ मिलाते हैं.चवन्नी ने कई बार देखा है कि वे निश्चित समय पर कहीँ नही पहुँचते.अगर पत्रकारों को १२ बजे का टाइम दिया है तो हो सकता है कि वे १२ बजे नींद से जागें.कोई उन्हें आदेश नही दे सकता.कोई उन पर दवाब नहीं दाल सकता.हमारे फिल्म स्टारों को लगता है कि दुनिया के सारे कायदे-कानून से वे ऊपर हैं.यही कारन है कि जब कभी कानून का शिकंजा कसता है तो वे सकपका जाते हैं.साड़ी हेकडी निकल जाती है.सच कहें तो सलमान निहायत बदतमीज किस्म के इन्सान हैं.एक बार एक विदेशी महिला पत्रकार ने उनसे पूछ लिया कि आप के मन में महिलाओं के लिए कोई इज़्ज़त नही है तो सलमान का छूटते ही जवाब था...महिला मेरी माँ-बहन हो तो मैं उनकी इज़्ज़त करता हूँ.आप मेरी बहन बन जाओ तो मैं आप की भी इज़्ज़त करूंगा.शूटिंग के दरम्यान कोई भी उन्हें कुछ निर्देश नही देता.चवन्नी ने देखा है कि निर्देशक सलमान से सहमती लेते है...जैसे,भाई आप ये या वो करोगे तो कैसा रहेगा.यही वजह है कि इतने सालों के कैरियर के बाद भी सलमान के पास ऐक्टर के लिहाज से उल्लेखनीय फ़िल्में नही हैं।सभी कहते हैं कि वे बहुत मददगार किस्म के इन्सान हैं.हैं ना,कभी सायिकल दे देते हैं...कभी पेंटिंग्स दान कर देते हैं...कभी कुछ और करते हैं ये सब करते हुए उनके चहरे पर गरूर रहता है.बडे ही मगरूर इन्सान हैं सलमान.एक बार किसी पत्रकार ने उनसे पूनसे उनकी हीरोइनों के बारे में पूछ दिया तो शरारती मुस्कराहट के साथ सलमान ने पूछा कि क्या बताऊं कि कब किस के साथ सोया था या किस के साथ क्या किया?आप उनके अच्छे साक्षात्कार नही पढ़ सकते,क्यों कि किसी भी सवाल के जवाब में वे सीरिअस नही रहते.चवन्नी को लगता है कि एक लोकप्रिय अभिनेता को बेहतर आदमी भी होना चाहिऐ.अफ़सोस की बात है कि सलमान इस कसौटी पर खरे नही उतरते.
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