रामू की '...आग
सारे चैनलों ने उस दोपहर और शाम रामू की फैक्ट्री से सीधा प्रसारण किया.ऐसा हंगामा हुआ कि हिंदी सिनेमा की तस्वीर बदलने की संभावना दिखने लगी.रामू भी इतरा रहे थे और जो कुछ मन में आ रहा था...बोल रहे थे.चवन्नी चकित है कि आम लोगों की तो छोड़िए...मीडिया के सक्रिय संवाददाताओं की स्मृति भी इतनी कमजोर हो सकती है.उस दिन रामू के कसीदे पढ़ रहे लोग '...आग'की रिलीज के बाद किसी दमकल अधिकारी की मुद्रा में नजर आ रहे हैं.क्या मीडिया को पता नहीं था और क्या उनके जरिए आम दर्शकों को नहीं मालूम था कि रामू क्या करने जा रहे हैं.अभी ऐसी हायतौबा मची हुई है मानो रामू ने कोई अपराध कर दिया हो.
रामू से अपराध हुआ है कि उन्होंने 'शोले' की रीमेक का दुस्साहस किया.वे इस फिऊम के साथ आम दर्शकों के रिश्त को नहीं आंक पाए.'शोले' हमारी लोकरुचि क हिस्सा है.कहते हैं किसी भी समाज के मिथक,किंवदती और लोककथाओं से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए.रामू से यह गलती हो गई.अब वे उसी की सजा भुगत रहे हैं.चवन्नी को 'शोले' के '...आग' बनने का पूरा किस्सा मालूम है.चवन्नी अपने पाठकों को नहीं बताएगा तो किसे बताएगा,लेकिन थोड़ा सब्र करना होगा...
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