खोया खोया चांद और सुधीर भाई-३
अपनी बात कहने के बाद सुधीर भाई मुस्कुराते हैं तो रूकते हैं... उनकी मुस्कराहट ठहर जाती है ... उन क्षणों में वह आपको समय देते हैं कि उनकी कही बातों को अ।प अपने दिमाग में प्रिंट कर लें. बोलते समय उनकी पुतलियां नाचती रहती हैं, लेकिन बातें मुद्दे पर ही टिकी रहती हैं. यह कला उन्होंने बोलते-बोलते सीख ली है. मीडिया विस्फोट के इस दौर में सुधीर भाई जैसे फिल्मकार टीवी चैनलों के लिए अत्यंत उपययोगी होते हैं, क्योंकि वे मुंह के करीब माइक अ।ते ही बोलना शुरू कर देते हैं. आप इसे कतई किसी अवगुण के रूप में न लें. यह खूबी बहुत कम लोगों में हैं. चवन्नी अपने अनुभवों से कह सकता है कि यह खूबी श्याम बेनेगल में है, महेश भट्ट में है, सुधीर मिश्र में हैं और नयी पीढ़ी के अनुराग कश्यप में है. ये सभी फिल्म पर सामाजिक.राजनीतिक ... और किसी भी ... इक के परिप्रेक्ष्य से बोल सकते हैं.
सुधीर भाई 'खोया खोया चांद' को अपनी खास फिल्म मानते हैं. उनकी नजर में, 'यह फिल्म हमारी इंडस्ट्री के उन अनछुए पहलुओं और कोणों को प्रकाशित करेगी, जिनके बारे में हम फिल्मी पत्रिकाऔं के 'गपशप' कॉलमों में चटकारे लेकर पढ़ते हैं. माफ करें, 'खोया खोया चांद' फिल्मी गॉसिप पर आधारित फिल्म नहीं है. लंबा रिसर्च हुआ है. उस दौर की फिल्में देखी गयी हैं. बोलचाल, लहजा, पहनावा और माहौल के लिए बड़ी मेहनत हुई है. कुछ लोगों को पीरियड फिल्में तमाशा लगती हैं. संजय लीला भंसाली जैसे फिल्मकारों ने तो उसे अतिसमृद्धि और वैभव की अश्लीलता दे दी है. पीरियड का मतलब विशेष कालखंड को फिल्म के लिए तैयार करना है. नितिश राय और भानु अथैया से पूछिए. भानु अथैया अकेली भारतीय हैं, जिन्हें ऑस्कर मिला है. उन्हें गांधी के कॉस्ट्यूम के लिए ऑस्कर मिला था. अ।प का मन बताने के लिए उछल रहा है न कि सत्यजित राय को भी ऑस्कर मिला था. जी, मिला था न? उनके संपूर्ण योगदान के लिए उन्हें ऑस्कर दिया गया था.
सुधीर भाई 'खोया खोया चांद' को अपनी खास फिल्म मानते हैं. उनकी नजर में, 'यह फिल्म हमारी इंडस्ट्री के उन अनछुए पहलुओं और कोणों को प्रकाशित करेगी, जिनके बारे में हम फिल्मी पत्रिकाऔं के 'गपशप' कॉलमों में चटकारे लेकर पढ़ते हैं. माफ करें, 'खोया खोया चांद' फिल्मी गॉसिप पर आधारित फिल्म नहीं है. लंबा रिसर्च हुआ है. उस दौर की फिल्में देखी गयी हैं. बोलचाल, लहजा, पहनावा और माहौल के लिए बड़ी मेहनत हुई है. कुछ लोगों को पीरियड फिल्में तमाशा लगती हैं. संजय लीला भंसाली जैसे फिल्मकारों ने तो उसे अतिसमृद्धि और वैभव की अश्लीलता दे दी है. पीरियड का मतलब विशेष कालखंड को फिल्म के लिए तैयार करना है. नितिश राय और भानु अथैया से पूछिए. भानु अथैया अकेली भारतीय हैं, जिन्हें ऑस्कर मिला है. उन्हें गांधी के कॉस्ट्यूम के लिए ऑस्कर मिला था. अ।प का मन बताने के लिए उछल रहा है न कि सत्यजित राय को भी ऑस्कर मिला था. जी, मिला था न? उनके संपूर्ण योगदान के लिए उन्हें ऑस्कर दिया गया था.
Comments
unki yeh film bhi logo ke dilo ko chhu jaegi......
sudhir pe likahana achchha laga.
sudhir ka fan hoon bhai..
main isi film journalism ki baat kahata tha- jo tum bahut achchhi tarah kar rahe ho.
tumahare blog se aur bhi hindi link dekhane ko mile-
maza ayaa