सिनेमालोक : दमकते मनोज बाजपेयी
सिनेमालोक दमकते मनोज बाजपेयी -अजय ब्रह्मात्मज हिंदी फिल्मों में काम करते हुए मनोज बाजपेयी को 25 साल हो गए.इन 25 सालों में मनोज बाजपेयी ने अपनी प्रतिभा और मेहनत से खास मुकाम हासिल किया है. बिहार के बेलवा गाँव से दिल्ली होते हुए मुंबई पहुंचे मनोज बाजपेयी को लम्बे संघर्ष और अपमान से गुजरना पड़ा है. 1994 में उनकी पहली फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ आ गयी थी. इस फिल्म में मान सिंह के किरदार से उन्होंने यह तो जाहिर कर दिया था कि वे रंगमंच की तरह परदे पर भी प्रभावशाली मौजूदगी रखते हैं. नाटक और रंगमंच में सक्रिय अधिकांश अभिनेता की इच्छा बड़े परदे पर आने की रहती है,लेकिन बहुत कम को ही कैमरा,निर्देशक और दर्शक स्वीकार कर पाते हैं. मनोज बाजपेयी को भी वक़्त लगा. ‘बैंडिट क्वीन’ की सराहना और मुंबई के निमंत्रण से उत्साहित होकर वे मुंबई आ गए थे. मुंबई में एक चर्चित और बड़े निर्देशक ने उन्हें मुंबई में मिलने का न्योता दिया था. स्वाभाविक रूप से मनोज को लगा था कि मुंबई पहुँचते ही फ़िल्में मिलने लगेंगी. कुछ कोशिशों के बाद उक्त निर्देशक से मुलाक़ात हुई तो उन्होंने दुत्कार दिया. उनकी प्रतिक्रिया का भाव था कि मि...