फिल्म समीक्षा : कड़वी हवा
फिल्म समीक्षा : कड़वी हवा अवधि : 100 मिनट ***1/2 साढ़े तीन स्टार - अजय ब्रह्मात्मज जिस फिल्म के साथ मनीष मुंद्रा, नीला माधव पांडा, संजय मिश्रा, रणवीर शौरी और तिलोत्तमा शोम जुड़े हों,वह फिल्म खास प्रभाव और पहचान के साथ हमारे बीच आती है। दृश्यम फिल्म्स के मनीष मुंद्रा भारत में स्वतंत्र सिनेमा के सुदृढ़ पैरोकार हैं। वहीं नीला माधव पांडा की फिल्मों में स्पष्ट सरोकार दिखता है। उन्हें संजय मिश्रा, रणवीर शौरी और तिलोत्तमा शोम जैसे अनुभवी और प्रतिबद्ध कलाकार मिले हैं। यह फिल्म उन सभी की एकजुटता का प्रभावी परिणाम है। ऐसी फिल्मों से चालू मनोरंजन की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। हमें देखना चाहिए कि वे सभी अपने कथ्य और नेपथ्य को सही रखते हैं या नहीं? बेघर और बंजर हो रहे मौसम के मारे हेदू और गुणों वास्तव में विपरीत और विरोधी किरदार नहीं है। दहाड़ मार रही बदहाली के शिकार दोनों किरदार एक ही स्थिति के दो पहलू हैं। बुंदेलखंड के महुआ गांव में हेदूअपने बेटे, बहु और दो पोतियों के साथ रहता है गांव के 35 लोग कर्ज में डूबे हुए हैं। उनमें से एक हेदू का बेटा मुकुंद भी है। हेदू अंधा है फिर भी यथाशक्ति वह घ...