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इतना तो हक़ बनता है - करीना कपूर

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-अजय ब्रह्मात्मज     करीना कपूर ने दस दिन पहले ‘सिंघम रिटन्र्स’ के लिए योयो हनी सिंह और अजय देवगन के साथ एक गाने की शूटिंग पूरी की है। सब की तरह उन्हें भी हनी सिंह पसंद हैं। क्यों? क्रेज है। सभी उनसे गाने गवा रहे हैं। रोति शेट्टी के साथ उन्होने ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ के लिए लुंगी डांस गाना किया था। उस गाने से वे बहुत पॉपुलर हुए? करीना बताने से ज्यादा पूछ लेती हैं। वह सलमान खान की ‘किक’ के बारे में भी जानना चाहती हैं। वह मानती हैं कि सलमान खान की फिल्मों के मामले में रिव्यू बेमानी हो जाते हैं। वह सुपरस्टार हैं। वह रिव्यू के बारे में परेशान भी नहीं रहते। जिन फिल्मों को अच्छे रिव्यू मिलते हैं,उन्हें दर्शक थिएटर में देखने नहीं जाते। रिव्यू के संबंध में उनकी राय पूछने पर करीना कपूर कहती हैं,‘सभी की अपनी ओपिनियन होती है। जिन फिल्मों को पब्लिक पसंद कर लेती है,वे चलती हैं। रोहित की फिल्में खूब चलती हैं। उनको अच्छे रिव्यू नहीं मिलते। जरूरी तो नहीं है कि हर कोई क्लासी (खास रुचि) फिल्में बनाए। कुछ को मासी (जन रुचि) फिल्में बनानी चाहिए।’ करीना कपूर की धारणा में रोहित शेट्टी की फिल्मों की खास स्टायल

सरहदें लाख खिंचे दिल मगर एक ही है -महेश भट्ट

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महेश भट्ट     पूजा की मां किरण भट्ट एंगलो इंडियन खातून हैं। उन्होने कहा कि जिंदगी कमाल का चैनल है। उस पर आ रहे पाकिस्तानी सीरियल दिल को छूते हैं। इस चैनल पर आ रहे शोज के कंटेंट भारतीय चैनलों पर आ रहे सीरियल से कई गुना बेहतर हैं। यह सुन कर एहसास हुआ कि चाहे जितना वक्त लगा,लेकिन आखिरकार पाकिस्तानी कंटेंट हमारे टीवी पर आ ही गया। म्यूजिक वगैरह तो पहले से घरों में बजता रहा है।     किरण की बात से याद आया कि 2003 में हम पाकिस्तान गए थे। तब देश में एनडीए सरकार थी। एक माहौल था कि पाकिस्तान शत्रु देश है। पाकिस्तान जाना तो बहुत दूर की बात थी,उसके बारे में सकारात्मक सोच रखना भी गलत माना जाता था। बहुत लोगों ने कहा था कि क्या कर रहे हो? वहां जाओगे तो गृह मंत्रालय की निगाहों में आ जाओगे। जिंदगी को जोखिम में डाल रहे हो। मैंने यही कहा था कि क्या बम बनाना सीखने जा रहा हूं? मैं तो फिलमों के मंच पर जा रहा हूं। वहां की अवाम और फिल्ममेकर से मिलने जा रहा हूं। निडर होकर वहां जाने का मेरा संवैधानिक अधिकार है। जाने पर वहां जो ऊर्जा और प्यास देखी,वह उस वक्त यहां पर नजर नहीं आती थी। वक्त के साथ पिछड़ गए देश में

फिल्‍म समीक्षा : एंटरटेनमेंट

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कौए क किलकारी  -अजय ब्रह्मात्‍मज          फरहाद-साजिद ने रोहित शेट्टी की फिल्में लिखी हैं। अब्बास-मस्तान की तरह वे दोनों भी सहोदर भाई हैं। वे लतीफों को दृश्य बनाने में माहिर हैं, जिन्हें रोहित शेट्टी रोचक, रंगीन और झिलमिल तरीके से चित्रित करते हैं। 'गोलमाल' से 'चेन्नई एक्सप्रेस' तक के कामयाब सफर वे इस प्रकार के मनोरंजन में सिद्धहस्त हो गए हैं। फरहाद-साजिद ने रोहित शेट्टी के काम को करीब से देखा है, क्योंकि वे उस टीम का अविभाज्य हिस्सा हैं। फिल्मों से जुड़े सभी व्यक्तियों की अंदरूनी ख्वाहिश रहती है कि वह किसी दिन निर्देशक की कुर्सी पर बैठे। फरहाद-साजिद की इस ख्वाहिश को अक्षय कुमार ने हवा दी। फरहाद-साजिद ने सीने से लगा कर रखी स्क्रिप्ट निकाली और नतीजा 'एंटरटेनमेंट' के रूप में सामने आया। 'एंटरटेनमेंट' देखते हुए लग सकता है कि यह रोहित शेट्टी और साजिद खान की शैली की किसी पुरानी फोटोस्टेट मशीन से मिश्रित जेरोक्स कॉपी है, जिसमें स्याही की काली लकीर आ गए हैं और कुछ टेक्स्ट गायब हैं। यह अखिल की कहानी है। वह अपने बीमार पिता के इलाज और आजीविक

दरअसल : ईद ने पूरी की उम्मीद

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-अजय ब्रह्मात्मज     इस साल भी सलमान खान को दर्शकों ने ईदी दी। उनकी फिल्म ‘किक’ को अपेक्षा के मुताबिक पर्याप्त दर्शक मिले। इस फिल्म के साथ सलमान खान सबसे आगे निकल गए हैं। ‘किक’ 100 करोड़ क्लब में आने वाली उनकी सातवीं फिल्म है। ‘दबंग’,‘दबंग 2’,‘एक था टाइगर’,‘बॉडीगार्ड’,‘रेडी’,‘जय हो’ और अब ‘किक’ की कामयाबी ने सलमान खान को अलग और ऊंचे मुकाम पर पहुंचा दिया है। हालांकि सबसे ज्यादा बिजनेस करने का रिकार्ड अब ‘धूम 3’ के साथ है,लेकिन सलमान ने संख्या के लिहाज से बाकी दोनों खानों (आमिर और शाहरुख) को पीछे छोड़ दिया है। शाहरुख खान 4 और आमिर खान 3 100 करोड़ी फिल्मों के साथ उनसे पीछे हैं। सलमान खान ने वफादार प्रशंसकों की वजह से यह बढ़त हासिल की है। माना जाता है कि उनकी ‘जय हो’ फ्लाप फिल्म है,जबकि उसका भी कारोबार 116 करोड़ रहा। वह 100 करोड़ क्लब में 14 वें स्थान पर है। यह लगभग वही स्थिति है,जब अमिताभ बच्चन की फ्लॉप फिल्में भी दूसरे स्टारों की हिट फिल्मों से ज्यादा बिजनेस करती थीं।     पिछले कुछ सालों से सलमान खान की एक फिल्म ईद के मौके पर जरूर रिलीज होती है। ट्रेड पंडित मानते हैं कि सलमान खान के प्

अनसुलझी पहेली है हिट फिल्‍म का फार्मूला : अक्षय कुमार

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अपने दम पर इंडस्ट्री में स्टार कद हासिल करने वाले अक्षय कुमार अब ‘एंटरटेनमेंट’ लेकर आए हैं। फिल्म आउट एन आउट कॉमेडी है। इससे पहले उनकी ‘हॉलीडे’ सफल रही थी। अक्षय का फलसफा यह रहा है कि वे जो भी फिल्म हाथ में लेते हैं, उसे पूरा होने तक पूरा साथ देते हैं। बीच मझदार में नहीं छोड़ते। -अजय ब्रह्मात्मज ‘एंटरटेनमेंट’ पूरी तरह एंटरटेनिंग फि ल्म है। इसकी कहानी मेरे दिल के काफ ी करीब है। ऐसा लगता है, जैसे अभी कुछ दिनों पहले की ही मैंने इसकी कहानी सुनी है। मुझे याद है इस फि ल्म के निर्देशक फरहाद-साजिद मुझे ध्यान में रखकर कई कहानियां सुनाने के इरादे से मेरे पास आए थे। उन्होंने उस पिटारे में से सबसे अच्छी कहानी बाहर निकाल ‘एंटरटेनमेंट’ की कहानी सुनाई। यह अच्छी कॉमेडी फिल्म है।     मुझे एक चीज हमेशा से परेशान करती रही है कि हमारे यहां कॉमेडी फिल्मों को दोयम दर्जे का क्यों माना जाता है? आज भी जब अवार्ड नाइट होते हैं तो कहा जाता है बेस्ट हीरो इन कॉमेडी रोल। यह क्या बात हुई भई। यही बात जब रोमांटिक फि ल्मों से किसी हीरो को बेस्ट एक्टर का अवार्ड दिया जाता है तो क्यों नहीं कहा जाता कि बेस्ट हीरो इन रोमां

पीके का पोस्‍टर

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दरअसल : पहली छमाही के संकेत

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-अजय ब्रह्मात्मज     2014 की पहली छमाही ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को उम्मीद और खुशी दी है। हिट और फ्लाप से परे जाकर देखें तो कुछ नए संकेत मिलते हैं। नए चेहरों की जोरदार दस्तक और दर्शकों के दिलखोल स्वागत ने जाहिर कर दिया है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री नई चुनौतियों के लिए तैयार है। नए विषयों की फिल्में पसंद की जा रही हैं। एक उल्लेखनीय बदलाव यह आया है कि पोस्टर पर अभिनेत्रियां दिख रही हैं। यह धारणा टूटी है कि बगैर हीरो की फिल्मों को दर्शकों का अच्छा रेस्पांस नहीं मिलता। पहली छमाही में अभिनेत्रियों की मुख्य भूमिका की कुछ फिल्मों ने साबित कर दिया है कि अगर फिल्मों को सही ढंग से पेश किया जाए तो दर्शक उन्हें लपकने को तैयार हैं। अगर कोताही हुई तो दर्शक दुत्कार भी देते हैं। ‘क्वीन’ और ‘रिवाल्वर रानी’ के उदाहरण से इसे समझा जा सकता है।     अभिनेत्रियों की स्वीकृति में आए उभार और उनकी फिल्मों की बात करें तो पहली छमाही में माधरी दीक्षित और हुमा कुरेशी की ‘डेढ़ इश्किया’ और माधुरी दीक्षित की ‘गुलाब गैंग’ है। कमोबेश दोनों फिल्मों को दर्शकों का बहुत अच्छा रेस्पांस नहीं मिला। कहीं कुछ गड़बड़ हो गई। फिर

अपनी लुक के लिए मैं क्‍यों शर्मिंदगी महसूस करूं ? -हुमा कुरेशी

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(हुमा कुरेशी ने यह लेख इंडियन एक्‍सप्रेस के लिए शनिवार,26 जुलाई को लिखा थ। मुझे अच्‍छा और जरूरी लगा तो उनके जन्‍मदिन 28 जुलाई के तोहफे के रूप में मैंने इस का अनुवाद कर दिया।)  मेरी हमेशा से तमन्‍ना थी कि अभिेनेत्री बनूंगी,लेकिन इसे स्‍वीकार करने के लिए हिम्‍मत की जरूरत पड़ी। खुद को समझाने के लिए भी।हां,मैं मध्‍यवर्गीय मुसलमान परिवर की लड़की थी,एक हद तक रुढि़वादी। पढ़ाई-लिखाई में हेड गर्ल टाइप। मैं पारंपरिक 'बॉलीवुड हीरोइन' मैटेरियल नहीं थी।       औरत के रूप में जन्‍म लेने के अनेक नुकसान हैं...भले ही आप कहीं पैदा हो या जैसी भी परवरिश मिले। इंदिरा नूई,शेरल सैंडबर्ग और करोड़ों महिलाएं इस तथ्‍य से सहमत होंगी। निस्‍संदेह लड़की होने की वजह से हमरा पहला खिलौना बार्बी होती है। ग्‍लोबलसाइजेशन की यह विडंबना है कि हमारे खेलों का भी मानकीकरण हो गया है। पांच साल की उम्र में मिला वह खिलौना हमारे शारीरिक सौंदर्य और अपीयरेंस का आजीवन मानदंड बन जाता है।(मैं दक्षिण दिल्‍ली की लड़की के तौर पर यह कह रही हूं।) संक्षेप में परफेक्‍शन। परफेक्‍शन का पैमाना बन जाता है।      दुनिया ने मेरे अंदर

तस्‍वीरों में किक

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फिल्‍म समीक्षा : किक

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-अजय ब्रह्मात्‍मज  कुछ फिल्में समीक्षाओं के परे होती हैं। सलमान खान की इधर की फिल्में उसी श्रेणी में आती हैं। सलमान खान की लोकप्रियता का यह आलम है कि अगर कल को कोई उनकी एक हफ्ते की गतिविधियों की चुस्त एडीटिंग कर फिल्म या डाक्यूमेंट्री बना दे तो भी उनके फैन उसे देखने जाएंगे। ब्रांड सलमान को ध्यान में रख कर बनाई गई फिल्मों में सारे उपादानों के केंद्र में वही रहते हैं। साजिद नाडियाडवाला ने इसी ब्रांड से जुड़ी कहानियों, किंवदंतियो और कार्यों को फिल्म की कहानी में गुंथा है। मूल तेलुगू में 'किक' देख चुके दर्शक बता सकेगे कि हिंदी की 'किक' कितनी भिन्न है। सलमान खान ने इस 'किक' को भव्यता जरूर दी है। फिल्म में हुआ खर्च हर दृश्य में टपकता है। देवी उच्छृंखल स्वभाव का लड़का है। इन दिनों हिंदी फिल्मों के ज्यादातर नायक उच्छृंखल ही होते हैं। अत्यंत प्रतिभाशाली देवी वही काम करता है, जिसमें उसे किक मिले। इस किक के लिए वह अपनी जान भी जोखिम में डाल सकता है। एक दोस्त की शादी के लिए वह हैरतअंगेज भागदौड़ करता है। इसी भागदौड़ में उसकी मुलाकात शायना से हो जाती है। शा