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रामू और बच्चन परिवार के लिए मायने रखती है सरकार राज

रामगोपाल वर्मा की सरकार राज के साथ खास बात यह है कि यह उनकी बड़ी फ्लॉप रामगोपाल वर्मा की आग के बाद आ रही है। सच तो यह है कि फिलहाल सफलता को सलाम करने वाली फिल्म इंडस्ट्री ने रामू का नाम लगभग खारिज कर दिया है। हालांकि कभी उनके दफ्तर के बाहर संघर्षशील कलाकार और निर्देशकों की कतार लगी रहती थी। माना यह जाता था कि यदि रामू की फैक्ट्री का स्टाम्प लग जाए, तो फिल्म इंडस्ट्री में पांव टिकाने के लिए जगह मिल ही जाती है, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि उसी इंडस्ट्री में एक फिल्म के फ्लॉप होने के बाद रामू के पांव के नीचे की कालीन खींच ली गई है। अब देखना यह है कि रामू सरकार राज के जरिए फिर से लौट पाते हैं या नहीं? सरकार राज के साथ दूसरी खास बात यह है कि इसमें बच्चन परिवार के तीन सदस्य काम कर रहे हैं, जबकि सरकार में केवल अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन थे। इस बार बहू ऐश्वर्या राय बच्चन भी हैं। गौरतलब है कि अभिषेक और ऐश्वर्या की शादी के बाद दोनों की साथ वाली यह पहली फिल्म होगी। कहा यह भी जा रहा है कि बच्चन परिवार के सदस्यों ने इस फिल्म में जोरदार अभिनय किया है। उल्लेखनीय है कि रामू की सरकार सफल इसलिए भी हु

राम गोपाल वर्मा और सरकार राज

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यहाँ प्रस्तुत हैं सरकार राज की कुछ तस्वीरें.इन्हें चवन्नी ने राम गोपाल वर्मा के ब्लॉग से लिया है.जी हाँ,रामू भी ब्लॉग लिखने लगे हैं। http://rgvarma.spaces.live.com/default.aspx

वुडस्टाक विला: एक और धोखा

-अजय ब्रह्मात्मज संजय गुप्ता ने खुद को एक ब्रांड के तौर पर स्थापित कर लिया है। उनकी फिल्मों की रिलीज के पहले खूब चर्चा रहती है। अलग-अलग तरीके से वह फिल्म से संबंधित कार्यक्रम करते रहते हैं और टीवी चैनलों के लिए जरूरी फुटेज की व्यवस्था कर देते हैं। दर्शकइस भ्रम में रहते हैं कि कोई महत्वपूर्ण फिल्म आ रही है। एक बार फिर ऐसा ही धोखा हुआ है। हंसल मेहता के निर्देशनमें बनी वुडस्टाक विला इसी धोखे के कारण निराश करती है। विदेश में बसे भारतीय मूल के मां-बाप का बेटा सैम तफरीह के लिए भारत आया है। एक बातचीत में वह अपने दोस्त को बताता है कि भारत में हाट स्पाइसेज हैं, इसलिए वह यहां आया है। माफकरें, हाट स्पाइसेज का अर्थ आप गरम मसाला न लें। उसका इशारा लड़कियों की तरफ है। हर रात एक नई लड़की की तलाश उसका शौक है। इसी शौक के चक्कर में वह जारा के संपर्क में आता है। जारा उससे एक डील करती है कि वह उसे किडनैप कर ले और उसके पति से पचास लाख रुपयों की मांग करे। वह जांचना चाहती है कि उसका पति उसे प्यार करता है या नहीं? भूल से भी आप अपने पति का प्यार जांचने के लिए ऐसा तरीका आजमाने की मत सोचिएगा। बहरहाल, इस प्रपंच मे

कहां से लाएं कहानी?

-अजय ब्रह्मात्मज घोर अकाल है। दरअसल, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कहानी की ऐसी किल्लत पहले कभी नहीं हुई। अभी हर तरफ यही सुगबुगाहट है। सभी एक-दूसरे से कहानी मांग रहे हैं। हर व्यक्ति नए विचार, विषय और वस्तु की तलाश में है और शायद इसीलिए कुछ महीने पहले सुभाष घई के हवाले से खबर आई थी कि वे मौलिक कहानी के लिए एक करोड़ रुपए देने को तैयार हैं। उन्होंने एक बातचीत में यह भी कहा कि अगर कोई उनके इंस्टीट्यूट में स्क्रिप्ट राइटिंग का कोर्स करने आए और महंगी फीस न दे पा रहा हो, तो वे उसे मुफ्त में ट्रेनिंग देंगे। पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में भी स्क्रिप्ट राइटिंग पर जोर दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले एनएफडीसी ने स्क्रिप्ट राइटिंग का वर्कशॉप किया था। हाल में दो संस्थानों ने स्क्रिप्ट राइटिंग को बढ़ावा देने और नए लेखन की उम्मीद में दो अभियान आरंभ किए हैं। तात्पर्य यह कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कहानियों की मांग है और एक अरब से ज्यादा व्यक्तियों के देश में कायदे की बीस-पचीस कहानियां भी नहीं मिल पा रही हैं, जिन पर फिल्म बनाई जा सके! मिर्ची मूवीज ने स्क्रिप्ट-कहानी के लिए प्रतियोगिता आयोजित की है

बिग बी के ब्लॉग से 'अलाद्दीन' की तस्वीरें और चंद बातें

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बिग बी यानि अमिताभ बच्चन अपने ब्लॉग पर रोचक जानकारियाँ भी दे रहे हैं.उन्होंने अपनी ताज़ा फ़िल्म 'अलाद्दीन' की तस्वीरें पोस्ट की हैं और उनके बारे में विस्तृत तरीके से बताया है.फ़िल्म में विशेष प्रभाव को समझाया है और यह आशंका भी व्यक्त की है कि भविष्य में ऐक्टर का काम मुश्किल और चुनौतियों से भरा होगा। पीली आभा की दोनों तस्वीरें एक गाने की हैं.और नीली आभा की तस्वीरें एक विशेष प्रभाव के दृश्य हैं। दोनों आभा की तस्वीरों में जो हरे और नीले रंग की पृष्ठभूमि दिख रही है.वह फ़िल्म बदल जायेगी.वहाँ कुछ और छवियाँ आ जायेंगी.आप अनुमान भी नहीं लगा सकेंगे कि कैसे यह कमाल हुआ होगा. इन दिनों सभी ऐक्टर अभिनय के इस तकनीकी पक्ष से जूझ रहे हैं.आजकल हर फ़िल्म में कमोबेश विशेष प्रभाव तो रहता ही है. इस तस्वीर में अमिताभ बच्चन एक बर्फीली पहाडी पर हैं. इस उम्र में भी उनका जोश देखते ही बनता है.आप दोनों तस्वीरों को गौर से देखें और फ़िल्म देखते समय याद रखें तो थोड़ा समझ पायेंगे.बिग बी अपने ब्लॉग पर कई बार ऐसी जानकारियां सहज शब्दों में लिख देते है.बिल्कुल आम दर्शक भी समझ सकते हैं। http://blogs.bigadda.com/ab

बॉक्स ऑफिस:३०.०५.२००८

धड़ाम से गिरी धूम धड़ाका वक्त आ गया है कि हिंदी फिल्मों के निर्माता-निर्देशक रिलीज के पहले अपनी कॉमेडी फिल्मों की परख कर लें। पिछले हफ्ते रिलीज हुई डॉन मुत्थुस्वामी और धूम धड़ाका से सीखने की जरूरत है। दोनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम से गिरीं। डॉन मुत्थुस्वामी में मिथुन चक्रवर्ती और धूम धड़ाका में अनुपम खेर थे। दोनों ने मेहनत भी की थी, पर जैसे अकेला चना भांड़ नहीं फोड़ सकता ़ ़ ़ वैसे ही अकेला एक्टर फिल्म नहीं चला सकता। फिल्म के चलने में कई ताकतों का मजबूत हाथ होता है। डॉन मुत्थुस्वामी और धूम धड़ाका नकल में खो रही अकल के नमूने हैं। फिल्मों की क्वालिटी के अनुपात में ही उन्हें दर्शक मिले। दोनों फिल्मों के कलेक्शन दस से पंद्रह प्रतिशत ही रहे। मुंबई में दर्शकों के अभाव की वजह से पहले ही दिन धूम धड़ाका के कुछ शो रद्द करने पड़े। घटोत्कच ने भी निराश किया। उम्मीद थी कि छुट्टी के दिनों में बच्चों को केंद्रित कर बनायी गयी यह फिल्म ठीक चलेगी, लेकिन बच्चों ने घटोत्कच में रुचि नहीं दिखाई। पहले दिन जो कुछ बच्चे देखने गए, उन्होंने अपने दोस्तों से फिल्म देखने की सिफारिश नहीं की। एनीमेशन का नाम देक

फट से फायर फिलम लगा दे

चवन्नी को राकेश रंजन की यह कविता बहुत सही लगी.चवन्नी के पाठक यह न समझें कि आजकल चवन्नी फिल्मों की दुनिया से बाहर टाक-झाँक कर रहे हैं.इस कविता में भी फ़िल्म का ज़िक्र है और वह भी विवादास्पद फ़िल्म फायर का... आ बचवा,चल चिलम लगा दे। रात भई,जी अकुलाता है कैसा तो होता जाता है ऊ ससुरा रमदसवा सरवा अब तक रामचरित गाता है रमदसवा जल्दी सो जाए ऐसा कोई इलम लगा दे । आ बचवा,अन्दरवा आजा हौले से जड़ दे दरवाजा रामझरोखे पे लटका दे तब तक यह बजरंगी धाजा हाँ,अब,सब कुछ बहुत सही है फट से फायर फिलम लगा दे. अभी -अभी जन्मा है कवि संग्रह से

१२ घंटे पीछे क्यों है ब्लॉगवाणी?

ब्लॉगवाणी में सुधार और परिष्कार हुआ है.कई नई सुविधाएं आ गई हैं.देख कर अच्छा लग रहा है.लेकिन घड़ी क्यों गड़बड़ हो गई है ब्लॉगवाणी की?आज सवेरे १० बज कर ७ मिनट पर चवन्नी ने एगो चुम्मा पोस्ट किया था.जब ब्लॉगवाणी पर जाकर चवन्नी ने देखा तो वहाँ रात का १० बज कर ७ मिनट हो रहा था.तारीख भी कल की थी.ब्लॉगर लोग तो आजकल ब्लोगयुद्ध में लगे हैं,इसलिए शायद किसी धुरंधर ब्लॉगर का ध्यान इधर नहीं गया.चवन्नी की इस हिमाकत को ग़लत न लें आप सभी.जरूरी समझा चवन्नी ने,इसलिए ध्यान दिला रहा है। अरे ये क्या हो रहा है...पसंद और टिप्पणी दोनों बरस रहे हैं...नहीं,नहीं ...बादल थे ,गरजे और गुजर गए...

एगो चुम्मा...पर हुआ विवाद

ख़बर पटना से मिली है.चवन्नी के एक दोस्त हैं पटना में.फिल्मों और फिल्मों से संबंधित गतिविधियों पर पैनी नज़र रखते हैं.टिप्पणी करते हैं। उन्होंने ने बताया की पटना में पिछले दिनों एक भोजपुरी फ़िल्म के प्रचार के लिए मनोज तिवारी और रवि किशन पहुंचे.फ़िल्म का नाम है - एगो चुम्मा देले जइह हो करेजऊ। भोजपुरी के इस मशहूर गीत को सभी लोक गायकों ने गाया है.अब इसी नाम से एक फ़िल्म बन गई है.उस फ़िल्म में मनोज तिवारी और रवि किशन दोनों भोजपुरी स्टार हैं.साथ में भाग्यश्री भी हैं.इस फ़िल्म के प्रचार के लिए आयोजित कार्यक्रम में मनोज ने मंच से कहा की इस फ़िल्म का नाम बदल देना चाहिए.भोजपुरी संस्कृति के हिसाब से यह नाम उचित नहीं है,लेकिन रवि भइया को इसमें कोई परेशानी नहीं दिखती.मनोज हों या रवि दोनों एक- दूसरे पर कटाक्ष करने का कोई मौका नहीं चूकते.सुना है कि बात बहुत बढ़ गई.मनोज ने अगला वार किया कि रवि भइया की असल समस्या मेरी मूंछ है.कहते रवि किशन ने मंच पर ही कहा कि तुम्हारा मूंछ्वे कबाड़ देंगे। मनोज तिवारी और रवि किशन की नोंक-झोंक से आगे का मामला है यह.भोजपुरी फिल्मों में भरी मात्रा में अश्लीलता रहती है.भोज

सलमान खान का शुक्राना

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सलमान खान ने भी ब्लॉग लिखना शुरू कर दिया है.उन्होंने यह ब्लॉग हम सभी की तरह ब्लागस्पाट पर ही आरंभ किया है.इसका नम दस का दम रखा गया है.इसी नाम से सलमान खान सोनी टीवी पर एक शो लेकर आ रहे है.यह उसी से संबंधित है.लोगों को लग सकता है कि दस का दम के प्रचार के लिए इसे शुरू किया गया है.अगर ऐसा है भी तो क्या दिक्कत है?सलमान खान ने अभी तक पाँच पोस्ट डाली है। आप अवश्य पढ़ें.आप समझ पाएंगे कि सलमान किस मिजाज के व्यक्ति हैं.उनमें एक प्रकार का आलस्यपना है.वह उनके लेखन में झलकता है.खान त्रयी के बाकी दोनों खान आमिर और शाहरुख़ कि तरह उन्हें बतियाने नहीं आता.बहुत कम बोलते हैं और जिंदगी की साधारण चीजों में खुश रहते हैं.सलमान खान ने यहाँ अपने दर्शकों से सीधे बात की है.चवन्नी को तो उनकी बातों रोचक जानकारी मिली है.सलमान खान का कहना है कि अक्ल हर काम को ज़ुल्म बना देती है.यही कारन है कि सलमान खान अक्लमंदी की बातें करने से हिचकते हैं। सलमान खान का अपना दर्शक समूह है.उनकी फ़िल्म को पहले दिन अवश्य दर्शक मिलते हैं.गौर करें तो उन्होंने बहुत उल्लेखनीय फ़िल्म नहीं की है,फिर भी लोकप्रियता के मामले में वे आगे रहे हैं.