बेखौफ और स्टाइलिश फिरोज खान
जन्म- 25 सितंबर 1939 मृत्यु- 27 अप्रैल 2009 फिरोज खान का नाम सुनते ही एक आकर्षक, छरहरे और जांबाज जवान का चेहरा रूपहले पर्दे पर चलता-फिरता दिखाई पड़ने लगता है। बूट, हैट, हाथ में रिवॉल्वर, गले में लाकेट, कमीज के बटन खुले हुए,ऊपर से जैकेट और शब्दों को चबा-चबा कर संवाद बोलते फिरोज खान को हिंदी फिल्मों का काउब्वाय कहा जाता था। हालीवुड में क्लिंट ईस्टवुड की जो छवि थी, उसका देशी रूपांतरण थे फिरोज खान। नरेन्द्र बेदी की फिल्म खोटे सिक्के में बगैर नाम का किरदार निभाते हुए उन्होंने दर्शकों का दिल जीता। उसी फिल्म का गीत जीवन में डरना नहीं, सर नीचे कभी करना नहीं उनकी जीवन शैली का परिचायक गीत बन गया। तीन साल पहले छोटे भाई अकबर खान की फिल्म ताजमहल के पाकिस्तान प्रीमियर के मौके पर वे हिंदी फिल्म बिरादरी की टीम के साथ पाकिस्तान गए थे। वहां एक प्रसंग में उन्होंने पुरजोर तरीके से ताकीद की कि भारत एक सेक्युलर देश है। वहां सिख प्रधानमंत्री और मुसलमान राष्ट्रपति हैं, जबकि पाकिस्तान मुसलमानों के नाम पर बना था और यहां मुसलमान ही मुसलमान को मार रहे हैं। मुझे अपने भारतीय होने पर गर्व है। उनकी मुखरता पाकिस्तान क...