सिनेमालोक : आ रहीं ऐतिहासिक फिल्में
सिनेमालोक
आ रहीं ऐतिहासिक फिल्में
-अजय ब्रह्मात्मज
पिछले शुक्रवार को यशराज फिल्म्स की डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी
के निर्देशन में बन रही ‘पृथ्वीराज’ की पूजा के साथ विधिवत शुरुआत हो गई. इस फिल्म
में अक्षय कुमार और मानुषी छिल्लर मुख्य भूमिकायें निभा रहे हैं. उनके साथ संजय
दत्त, आशुतोष राणा, मानव विज और अन्य कलाकार हैं. डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी को हम
सभी टीवी धारावाहिक ‘चाणक्य’ के उल्लेखनीय निर्देशन के लिए जानते हैं. उन्होंने
अभी तक ‘पिंजर’, ‘जेड प्लस’ और ‘मोहल्ला अस्सी’ फिल्मों के निर्देशन से अपनी एक
पहचान बना ली है. खासकर भारत-पाकिस्तान विभाजन की पृष्ठभूमि पर बनी उनकी फिल्म ‘पिंजर’
की विशेष चर्चा होती है. यह फिल्म अमृता प्रीतम के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित
है. डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी की पहले की तीनों फिल्में किसी न किसी सहितियिक कृति
पर आधारित है.’ पृथ्वीराज’ के लिए भी उन्होंने चंदबरदाई की ‘पृथ्वीराज रासो’ से
कथासूत्र लिए हैं और फिल्म के रूप में उनका विस्तार किया है. अगर ‘पृथ्वीराज’
योजना के मुताबिक बन गई तो ऐतिहासिक फिल्मों के संदर्भ में यह नए मानक मानक गढ़ेगी.
वास्तव में डॉ. चंद्रप्रकाश द्वेदी अपनी फिल्मों में काल और
परिवेश पर विशेष ध्यान देते हैं. उनकी पहली फिल्म ‘पिंजर ने विभाजन के समय के भारत
को पेश किया था. ‘जेड प्लस’ में आज का राजस्थान था तो ‘मोहल्ला अस्सी’ में पिछली
सदी के नौवें और अंतिम दशक का बनारस... बनारस में भी अस्सी घाट था. मुंबई में
स्थित फिल्मसिटी में इस फिल्म के सेट को देखकर ‘काशी का अस्सी’ के लेखक डॉ.
काशीनाथ सिंह और उनके बड़े भाई मशहूर आलोचक नामवर सिंह चौक गए थे. दोनों की राय
में डॉ. द्विवेदी ने अस्सी घाट की गली और पप्पू की दुकान को हूबहू मुंबई में गढ़
लिया था. इसी प्रकार ‘पिंजर’ में विभाजन के समय के भारत को उन्होंने मुंबई की
फिल्मसिटी में तैयार किया था. ‘पृथ्वीराज’ के लिए भी मुंबई के यशराज स्टूडियो में सेट
लगाए गए हैं. फिल्म की प्रगति के साथ सेट बदले जाएंगे.
आज यानी मंगलवार को ओम राउत निर्देशित ‘तानाजी’ का ट्रेलर आया
है. ‘तानाजी’ छत्रपति शिवाजी के मित्र और किलेदार थे. शिवाजी ने उन्हें मुगलों के
अधीन एक गढ़ को अपने कब्जे में लेने के लिए भेजा था. इस गढ़ का रणनीतिक महत्व था.
शिवाजी के आदेश पर तानाजी ने बहादुर सैनिकों की मदद से इस किले को जीता. हालांकि
गढ़ जीतने की लड़ाई में घायल तानाजी शहीद हो गए थे. उनकी शहादत पर दुखी होकर
छत्रपति शिवाजी ने कहा था ‘गढ़ आला पण सिंह गेला’. उन्होंने तानाजी को सिंह कहा था
और कोंडाना गढ़ को नया नाम सिंहगढ़ दिया था. सिंहगढ़ की लड़ाई पर मराठी साहित्यकार
हरिनारायण आप्टे ने छत्रपति शिवाजी महाराज की उक्ति को ही अपने उपन्यास का शीर्षक
बना दिया था.. ‘गढ़ आला पण सिंह गेला’. इस उपन्यास पर पहले बाबूराव पेंटर ने 1923 में
‘सिंहगढ़’ फिल्म का निर्देशन किया. बाद में 1933
में प्रभात चित्र कंपनी के लिए वी.
शांताराम ने ‘सिंहगढ़’ का निर्देशन किया. इसमें तानाजी की भूमिका मास्टर विनायक ने
निभाई थी. नई फिल्म ‘तानाजी’ में अजय देवगन तानाजी की शीर्षक भूमिका निभा रहे हैं.
उनके साथ सैफ अली खान और काजोल मुख्य भूमिकाओं में हैं.
ऐतिहासिक फिल्मों के इस उभार में आशुतोष गोवारिकर की ‘पानीपत’
का उल्लेख आवश्यक है. ‘जोधा अकबर’ और ‘मोहनजोदाड़ो’
जैसी ऐतिहासिक फिल्में बना चुके आशुतोष गोवारिकर की ‘पानीपत’ वास्तव में पानीपत
में हुए तीसरे युद्ध की पृष्ठभूमि पर है. इस युद्ध में अफगानी बादशाह अहमद शाह
अब्दाली और मराठा पेशवा सदाशिव राव भाऊ के बीच हुए निर्णायक युद्ध का बैकड्राप है.
इसे पानीपत का तीसरा युद्ध भी कहते हैं. आशुतोष गोवारिकर की पानीपत में अर्जुन
कपूर सदाशिवराव भाऊ और संजय दत्त अहमद शाह अब्दाली की भूमिका निभा रहे हैं. कृति
सैनन ने पार्वती बाई की भूमिका निभाई है. उनके अलावा जीनत अमान, पद्मीनी
कोल्हापुरे, कुणाल कपूर आदि मुख्य भूमिकाओं में हैं.
इन तीनों फिल्मों के निर्माण और दर्शकों के रिस्पांस से 21वीं सदी में ऐतिहासिक
फिल्मों की दिशा तय होगी. तकनीक और वीएफएक्स
के विकास से निर्माता-निर्देशक को भारी मदद मिलेगी. एक संकेत मिल रहा है कि तीनों
फिल्मों में अलग-अलग संदर्भ के साथ राष्ट्रवाद और देशभक्ति की बातें होंगी. देखना
यह होगा कि तीनों निर्देशक और उनके लेखक अतीत की इन कहानियों और चरित्रों को आज के
हिसाब से कितना सामयिक और प्रासंगिक बना कर पेश कर पाते हैं.
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