सिनेमालोक : मजबूत होता डिजिटल प्लेटफार्म
सिनेमालोक
मजबूत होता डिजिटल प्लेटफार्म
-अजय ब्रह्मात्मज
निश्चित ही 2020 तक मनोरंजन के माध्यमों में
तेजी से बदलाव आएगा। इंटरनेट की सुविधा और उपयोग की प्रवृति बढ़ने के बाद महसूस
किया जा रहा कि देश के दर्शकों के पास मनोरंजन के एकमात्र विकल्प सिनेमा की लाचारी
नहीं रह जाएगी। यह बदलाव परिलक्षित होने लगा है। दर्शकों की बदलती रुचि को भांप कर
पुराने खिलाडि़यों ने कमर कस लिए हैं और नए खिलाड़ी उन्हें चुनौती दे रहे हैं।
देश में मनोरंजन के अनेक देशी-विदेशी प्लेटफार्म सक्रिय हैं। वे अपने तई दर्शकों
को लुभाने और जुटाने की दिशा में काम कर रहे हैं। पिछले दिनों डिजिटल कंटेंट के
पृथक पुरस्कारों का एक इवेंट हुआ। एकता कपूर को वेब पर्सन ऑफ द ईयर का खिताब भी
दिया गया। तात्नर्य यह कि डिजिटल प्लेटफार्म की आहटें अब धमक के रूप में सुनाई
पड़़ने लगी हैं। सिनेमा की प्रतिभाएं मुकाबले के लिए नई तरकीबों की खोज में जुट गई
हैं,लेकिन दर्शकों को जहां किफायत,सुविधा और विविधता मिलेगी वे उसे अपना लेंगे। इस
लिहाज से साफ दिख रहा है कि अगले दो सालों में ही डिजिटल प्लेटफार्म और मजबूत
होंगे।
अनुमान है कि 2020 तक भारत में इंटरनेट यूजर की
संख्या 45 करोड़ के आसपास हो जाएगी। अगले दो सालों में यानी 2020 तक देश के 50
करोड़ लोगों के पास मोबाइल होगा। इसमें बड़ी संख्या स्मार्ट फोन की होगी। इसी
अनुपात में सोशल मीडिया और डिजिटल एंटरटेनमेंट के उपभोक्ता बढ़ेंगे। माना जाता है
कि युवक रोजाना ढाई घंटे और प्रौढ़ डेढ़ घंटे का समय स्मार्ट फोन पर खर्च कर रहे
हैं। इस समय की 40 प्रतिशत अवधि ऑडियो-वीडियो पर खर्च होती है। जाहिर सी बात है कि
सभी को सुनने-देखने के लिए कंटेंट चाहिए। इस कंटेंट का बढ़ा हिस्सा फिलहाल फिल्में
पूरा कर देती हैं। अगले कुछ सालों में इंटरनेशनल कंटेंट के संपर्क में आने के बाद
देशी दर्शक भी अपनी भाषा में उसी स्तर का कंटेंट चाहेंगे। फिर जरूरी होगा कि चुस्त-दुरुस्त
और चटखदार कंटेंट बने। आप महसूस करेंगे कि भारतीय भावनाओं की अश्रुविगलित कहानियां
युवा दर्शकों को अधिक पसंद नहीं आ रही हैं। उन्हें लगता है कि समान समय और पैसे
में अगर विदेशी स्लीक मनोरंजन मिल जाता है तो कौन अपने देश का चलताऊ और ऊबाऊ
कार्यक्रम देखे। सदियों की हीनभावना से यह धारणा बन गई है कि विदेशों में श्रेष्ठ
काम होता है। कहीं न कहीं हम अपनी खूबियों और परंपरा को खोते जा रहे हैं। डिजिटल
प्लेटफार्म पर यह तेजी से हो रहा है।
देश में नेटफिल्क्स और एमेजॉन आ चुका है। श्हरों
में उनका सब्सक्रिप्शन तेजी से बढ़ा है। दोनों विदेशी डिजिटल प्लेटफार्म ने
इंटनेशनल और भारतीय कंटेंट का मिक्स परोसना शुरू कर दिया है। वे मनोरंजन का नया
स्वाद दे रहे हैं। उन्होंने भारतीय प्रोग्राम भी घोषित किए हैं। नेटफिल्क्स ने
‘लव पर स्क्वायर फीट’ का सफल डिजीटल प्रदर्शन कर छोटी फिल्मों के
निर्माता-निर्देशकों की उंगली थाम ली है। आने वाले समय में डिजिटल प्लेटफार्म के
लिए स्वतंत्र फिल्में बनेंगी। उन्हें दुनिया भर के दर्शक अपनी सुविधा से देख
सकेंगे। उन्हें देश में मौजूद डिस्ट्रीब्यूशन और एग्जीबिशन के मकड़जाल में
नहीं फंसना होगा। दोंनों विदेशी प्लेटफार्म भारतीय वेब सीरीज भी ला रहे हैं। उनके
देखादेखी अनेक देशी प्लेटफार्म भी सक्रिय हो गए हैं। हॉट स्टार,वूट,व्यू,एएलटी
बालाजी,इरोस नाउ,जी5 जैसे प्लेटफार्म ने दर्शकों को आकर्षित किया है। माना जा रहा
है अगले दो-चार सालों में और भी खिलाड़ी मैदान में उतर आएंगे। इन सभी के साथ
यूट्यूब तो रहेगा ही,जो व्यक्तिगत उद्यमियों की सहभागिता से अपनी पहुंच और आमदनी
बढ़ा रहा है। डिजिटल प्लेटफार्म के मजबूत होने की संभावना को इस तथ्य से भी आंका
जा सकता है कि अगले दो सालों में मीडिया को मिल रहे विज्ञापन का 25 प्रतिशत डिजिटल
वर्ल्ड खींच लेगा।
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