दरअसल : प्रचार का ‘रईस’ तरीका
दरअसल,
प्रचार का ‘रईस’ तरीका
- अजय बह्मात्मज
कुछ समय पहले शाह रुख खान ने अगले साल के आरंभ में आ
रही अपनी फिल्म ‘रईस’ का
ट्रेलर एक साथ 3500 स्क्रीन में लांच किया। आप सोच सकते हैं कि इसमें कौन सी नई
बात है। यों भी फिल्मों की रिलीज के महीने-डेढ़ महीने पहले फिल्मों के ट्रेलर
सिनेमाघरों में पहुंच जाते हैं। मीडिया कवरेज पर गौर किया हो तो ट्रेलर लांच एक
इवेंट होता है। बड़ी फिल्मों के निर्माता फिल्म के स्टारों की मौजूदगी में यह
इवेंट करते हैं। प्राय: मुंबई के किसी मल्टीप्लेक्स में इसका आयेजन होता है।
फिर यूट्यूब के जरिए या और सिनेमाघरों में दर्शक उन्हें देख पाते हैं। इन दिनों
कई बार पहले से तारीख और समय की घोषण कर दी जाती है और ट्रेलर सोशल मीडिया पर ऑन
लाइन कर दिया जाता है। इस बर लांच के समय देश के दस शहरों के सिनेमाघरों में आए
दर्शकों ने उनके साथ इटरैक्ट किया।
आमिर खान और शाह रुख खान अपनी फिल्मों के प्रचार के
नायाब तरीके खोजते रहते हैं। वे अपने इन तरीकों से दर्शकों और बाजार को अचंभित
करते हैं। उनकी फिल्मों के प्रति जिज्ञासा बढ़ती है और उनकी फिल्में हिट होती
हैं। उनकी हर नई फिल्म की रिलीज के समय अब दर्शकों को भी इंतजार रहता है कि इस
बार कौन सी नई रणनीति अपना रहे हैं। इस बार सभीको आश्चर्य हो रहा है कि आमिर खान ‘दंगल’ के प्रचार में आक्रामक रुख
क्यों नहीं अपना रहे है? आप देखें कि फिल्म के बाकी
कलाकारों के इंटरव्यू छप रहे हें,लेकिन आमिर खामोश हैं। वे बीच-बीच में ऐसा करते
हैं। बगैर जोरदार प्रचार के ही ‘दंगल’ के प्रति उत्सुकता बनी हुई है। कुछ सालों पहले ‘रा.वन’ की रिलीज के समय तो शाह रुख
खान ने अपने प्रचार से ऐसा आतंकित कर दिया था कि दर्शकों के बीच फुसफुसाहट चलने
लगी थी कि यह फिल्म तो देखनी ही पड़ेगी। अन्यथा धर की टीवी से निकल कर शाह रुख
बाहर आ जाएंगे।
शाह रुख खान ने ‘रईस’ के प्रचार का नायब तरीका खोजा। उन्होंने यूएफओ की मदद से
देश के दस शहरों के दर्शकों के साथ लाइव संवाद किया। मुंबई,दिल्ली,कोलकाता,मोगा,अहमदाबाद,सूरत,बंगलोर,हैदराबाद,इंदौर
और जयपुर के मल्टीप्लेक्स में आए चुनिंदा दर्शकों के साथ उन्होंने ‘रईस’ के बारे में बातें कीं। इस
नए प्रयोग से यह भी जाहिर हुआ कि आने वाले समय में इवेंट कवरेज में मीडिया की
भूमिका सीमित होने जा रही है। अब देश के दर्शकों से स्टार सीधा संवाद कर सकते
हैं। उन्हें किसी और माध्यम की जरूरत नहीं रह जाएगी। शाह रुख ने कहा भी कि किसी
एक शहर में ट्रेलर लांच करने से अच्छा है कि उसे ऐसे इवेंट के जरिए सबसे शेयर
किया जाए। मुझे पूरी उम्मीद है कि आने वाले समय में और भी स्टार इस तरीके को
अपनाएंगे। दर्शकों का फिल्म से लगाव बढ़ेगा और वे फिल्म देखने के लिए लालायित
होंगे। निर्माताओं के लिए खर्च के हिसाब से भी यह मुफीद रहेगा। फिल्म स्टार को
शहर-दर- शहर ले जाने के भारी खर्च में बचत होगी।
सोशल मीडिया के ट्वीटर,फेसबुक,यूट्यूब आदि फोरम के बाद
यूण्फओ की मदद से देश के अनेक शहरों के दर्शकों से दोतरफा संवाद से नई संभावनाएं
उजागर होंगी। पाठकों का बता दें कि यूएफओ देश की एक ऐसी कंपनी है,जिसने फिल्मों
के डिजीटल प्रक्षेपण की शुरूआत की थी। डिजीटल प्रक्षेपण से निर्माता अपनी फिल्म
देश के सुदूर सिनेमाघरों तक कम लागत में पहुंचा सकता है। इसमें पारंपरिक तरीके से
फिल्म के प्रिंट पहुंचाने की जरूरत नहीं रहती। इसके अनेक फायदे दिख रहे हैं।
अपनी ख्याति के अनुरूप शाह रुख खान ने प्रचार की नई
पहल में पूरा सहयोग किया। उन्होंने फिलम से इतर नोटबंदी आदि की भी बातें कीं और
बताया कि फिल्म में पहनी ताबीज उनकी है। इसमें उनके मां-पिता की तस्वीर है। ऐसी
निजी बातों और शेयरिंग से स्आर के प्रति दर्शक की वफादारी बढ़ती है। वे फिल्म के
दर्शक बनते हैं।
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