दरअसल : मोरना में सलमान खान
-अजय ब्रह्मात्मज
पिछले महीने सलमान खान अपनी निर्माणाधीन फिल्म ‘सुल्तान’ की शूटिंग के लिए
मुजफ्फरनगर के मोरना गए थे। फिल्म के निर्देशक अली अब्बास जाफर ने वहां की शूटिंग प्लान की थी। यशराज फिल्म्स के कर्ता-धर्ता
आदित्य चोपड़ा की सहमति से ही यह संभव हुआ होगा। एक हफ्ते पहले से अखबार के मेरे
साथियों की जिज्ञासा आने लगी थी कि शूटिंग की सही जानकारी मिल जाए।उनकी गतिविधि के
बारे में पता चल जाए। और अगर मुमकिन हो तो शूटिंग के दौरान की तस्वीरों और
रिपोर्ट का रास्ता निकल आए। तमाम कोशिशों और आग्रह के बावजूद ऐसा नहीं हो सका। यह
स्वाभाविक है। मुझे भी कई बार लगता है कि शूटिंग के दरम्यान दर्शकों और
प्रशंसकों को शूटिंग घेरे में नहीं आने देना चाहिए। प्रशंसकों में कौतूहल होता है।
वे परिचित स्टार को देखने के सुख और उल्लास की ललक में भीड़ बढ़ा देते हैं।
निश्चित समय में अपना काम पूरा करने के उद्देश्य से गई फिल्म यूनिट स्टार और
दर्शकों के मेल-मिलाप और सेल्फी की मांग पूरी करने लगे तो सारा समय यों ही बीत
जाएगा।
मुंबई और दिल्ली के दर्शक-प्रशंसक आए दिन फिल्म स्टारों
को यहां-वहां शूट करते देखते हैं। वे छ़ट्टी लेकर या काम छोड़ कर शूटिंग देखने
शायद ही आते हैं। छोटे शहरों और दूर-दराज के इलाकों में स्टार की मौजूदगी से
हड़कंप मच जाता है। उत्साही युवा और स्टारप्रेमी काम छोड़ कर पहुंच जाते हैं। हर
कोई स्टार से मिलना चाहता है। मिल नहीं सके तो देखना चाहता है। उन्हें इससे मतलब
नहीं रहता कि उनकी वजह से शूटिंग बाधित होती है। अभिनेता का मन उखड़ता है। अभी तक
हम कोई ऐसी व्यवस्था नहीं तैयार कर सके हैं कि सभी खुश हो सकें। न फिल्म की
शूटिंग रुके और न दर्शक निराश हों। मोरना में रोजाना हजारों की भीड़ सलमान खान की
एक झलक के लिए ललक कर रह गई। वहां तो सुरक्षा और व्यवस्था में लगे पुलिस
अधिकारियों को भी सख्त हिदायत दी गई थी कि कोई सलमान खान के साथ सेल्फी न ले।
उन्हें या फिल्म यूनिट को किसी प्रकार की असुविधा न हो। रिपोर्ट है कि हिदायतों
का पालन हुआ। बहुत अच्छा हुआ। सलमान खान अपनी शूटिंग पूरी कर दिल्ली लौट गए।
कितने संतुष्ट और खुश होकर लौटे? यह उनसे मुलाकात होन पर ही
पूछा जा सकता है।
अखिलेश यादव के नेतृत्व में यूपी सरकार फिल्म
बिरादरी को सुविधाएं और प्रलोभन दे रही है। इस साल यूपी को ‘फिल्म फ्रेंडली स्टेट’ होने का दूसरा पुरस्कार
मिला। यूपी की सरकार ने एक फिल्म नीति बनाई है। उसके तहत वह निर्माताओं और फिल्मकारों
को सुविधाएं,छूट,रियायत और सहयोग राशि दे रही है। निर्माताओं को फायदा दिख रहा है
तो वे यूपी को ‘शूटिंग डेस्टिनेशन’ के तौर पर चुन रहे हैं। यूपी में बनारस,लखनऊ और आगरा
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण दशकों से फिल्मकारों को आकर्षित करते रहे
हैं। अब फिल्मकार कस्बों और जनपदों की ओर भी जा रहे हें। यूपी की सरकार उनकी हर
मदद कर रही है।
यहां एक सवाल है। क्या यूपी सरकार से मिल रही
सुविधाओं और फिल्म नीति से यूपी की प्रतिभाओं के लिए नए अवसर खुल रहे हैं।
साधन-संपन्न और लोकप्रिय स्टारों,निर्माताओं और निर्देशकों की मदद करने से चर्चा
होती है। खबरें बनती हैं,लेकिन राज्य की प्रतिभाओं में आक्रोश भी बढ़ रहा है।
सहयोग राशि के रूप में जितनी रकम दे दी जाती है,उतनी में युवा और नए निर्देशक पूरी
फिल्म बना दें। क्या यूपी का अपना सिनेमा विकसित हो रहा है,जिसमें वहीं का समाज
अपनी सांस्कृतिक पहचान के साथ हो? खोजबीन करें तो निराशा ही
हाथ लगेगी। और फिर सलमान खान की शूटिंग में जिस प्रकार से स्टेट मशीनरी चाक-चौबंद
रही। हजार के लगभग सशस्त्र सुरक्षाकर्मी फिल्म यूनिट और सलमान खान की सुरक्षा
में लगे रहे। उनका खर्च किस ने वहन किया? आज नहीं तो कल यह बात उठेगी
और सही जानकारी सामने आएगी।
सलमान खान के मोरना जाने और वहां शूटिंग करने का महत्व
है। फिर भी हमें यह देखना होगा कि राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के लिए यह
कहीं ‘नौ की लकड़ी,नब्बे का खर्च’ का मामला तो नहीं बन गया। फिल्म में चंद मिनटों के दृश्य
के लिए लाखों-करोड़ों का यह खर्च किस ने उठाया?
सुना है कि
सलमान खान की अगली दो फिल्मों की भी यूपी में शूटिंग की प्लानिंग चल रही है।
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