ताली तो बजाओ यारों - नवाजुद्दीन सिद्दीकी
-अजय ब्रह्मात्मज
नवाजुद्दीन सिद्दीकी
की जिंदगी में आन,बान और शान के साथ इत्मीनान भी आया है। वे सुकून और सुविधा से
पसंद की फिल्में कर रहे हैं। उन्हें पिछले साल की फिल्मों के लिए कुछ अवार्ड मिले।
मुंबई के यारी रोड इलाके में उन्होंने प्यारा से ऑफिस बनाया है,जो उनकी तरह ही
औपचारिकताओं से दूर है। इसे उन्होंने खुद ही डिजाइन किया है। उनके ही शब्दों में
कहें तो,’ मैं हमेशा से चाहता था कि मेरा ऑफिस ऐसा हो, जो ऑफिस जैसा ना लगें।
मुझे वहां पर सुकून मिले। मैं यहां कैसे भी कहीं पर बैठ सकता हूं।
इसे मैंने पुराने समय के बैठक का रूप दिया है। अगर ऑफिस होता तो चेयर
और टेबल होते। मैं चेयर पर बैठने में असहज महसूस करता हूं।‘
-लगातार अवार्ड मिल
रहे हें। ये आपको खुशी के लावा और क्या देते हैं?
0 इतने सारे अवार्ड हो गए हैं। अवार्ड मिल जाने पर
उतनी खुशी भी नहीं होती है। न मिले तो दुख कतई नहीं होता। इन अवार्ड समारोहों में
दर्शक टिकट लेकर आते हें। उनकी रुचि अवार्ड से ज्यादा परफारमेंस में रहती मैंने
देखा है कि अवार्ड मिलने पर कोई ताली भी नहीं बजाता है। बहुत दुख होता है। अवार्ड देने
के समय दर्शकों को उत्साह दिखाना चाहिए,ताकि अवार्ड पाने वाले को लगें कि उसने
कुछ अच्छा काम किया।
- क्या अवार्ड किसी
प्रकार के प्रमाण पत्र होते हें? विदेशों में
तो अवार्ड से कलाकारों का मान-सम्मान बढ़ता है। भारत में ऐसा क्यों नहीं होता?
0 वहां के
अवार्ड ९९ प्रतिशत सही रहते हैं। वहां पर जो इज्जत मिलती है,वह सही लगती है। कलाकार
अवार्ड के हकदार लगते। यहां अवार्ड मिलने से काम नहीं मिलता। अवार्ड से एक्टर की साख
नहीं बढ़ती। हम ने अवार्ड को कमर्शियल बना दिया है। उनकी मर्यादा खत्म कर दी है।
-आप की जिंदगी किन चीजों से संवर रही है? एक इत्मीनान दिख रहा है।
0 बिल्कुल। असल जीवन
में जीवन को शांतिपूर्ण बनाए रखने का प्रयास जारी है। हम अपने जीवन की बेहतरी के
लिए क्या-क्या कर सकते हैं? आप पहले से
कुछ भी तय नहीं कर सकते। मुझे नहीं मालूम कि पांच सालों के बाद क्या होगा? हर आदमी चाहता है कि जीवन में शांति, स्थिरता और
सुरक्षा बनी रहे। हम आगे बढते रहें। जब जैसी परिस्थिति हो,उसके हिसाब से ढलना और
बदलना पड़ता है। काम हो और उसके साथ तरक्की व तारीफ हो इत्मीनान आ ही जाता है
- क्या एक्टिंग की
तरह ही जिंदगी की स्क्रिप्ट है आपके पास?
0 मेरे पास ना तो
पहले ऐसी कोई स्क्रिप्ट थी। और न अभी है। ऐसी उम्मीद भी नहीं है कि भविष्य में ऐसी
कोई स्क्रिप्ट मेरे पास आ जाएगी। मैं तो यहां टीवी शो में काम करने के लिए आया था।
वह इतेफाक से नहीं मिला। मैं एक्टर था। मुझे लगता था कि
एक्टिंग का काम मिलना चाहिए। फिर चाहे वह थिएटर हो या टीवी। मैं किसी नाटक में काम
करूं। या फिर किसी टीवी शो में काम करूं। मुझे केवल एक्टिंग करनी थी। मैं कुछ
सोचकर नहीं आया था।जैसे बहुत सारे लोग सोच कर आया करते हैं। किसी को स्टार बनना
रहता है। मैं एक्टर था। मुझे रोज अपनी एक्टिंग का अभ्यास करने के लिए एक माध्यम
चाहिए था। मैं तब या तो घर पर अभ्यास करता था। या किसी प्ले में जाकर अभ्यास करता
था। अभी भी मैं ऐसा ही सोचता हूं। कुछ नया करना है।उदाहरण के तौर पर अब मैं उन्हीं
किरदारों को फिर से निभाना नहीं चाहूंगा,जिन्हें निभा चुका हूं।। अब मुझे कहीं पर
गैंगस्टर का किरदार निभाने का मौका मिलें तो जरूर करूंगा। पर मैं ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के किरदार को रिपीट नहीं करूंगा।
- पिछले साल की ऐसी
कौन सी खुशियां हैं,जिन्हें आप हमारे पाठकों के साथ शेयर करना चाहेंगे?
0 इस साल की सबसे
बड़ी खुशी यहीं है कि मेरा बेटा हुआ। वह भी मेरे जन्मदिन के दिन ही हुआ। इतना बड़ा
इत्तफाक मैं सोच ही नहीं सकता था। इसके अलावा एक्टर के तौर पर संतुष्टि मिली। मुझे
अलग-अलग तरह का किरदार करने का मौका मिल रहा है। मुझे अपने किरदार खुद चुनने का
अवसर मिल रहा है। कोई चुनौती देता है तो मुझे खुशी होती है। अभी मैंने अनुराग
कश्यप के साथ काम किया। दर्शकों ने मुझे इस अंदाज में नहीं देखा है।
-अच्छा एक्टर-डायरेक्टर
रिलेशन बदलता है क्या? मतलब ‘गैंग्स ऑफ
वासेपुर’ से अभी के नवाज की हैसियत में बहुत फर्क आ
गया है। मेरा सवाल बहुत साधारण सा है कि इस बीच नवाज की जो हैसियत बढ़ी हैउससे
अनुराग के अप्रोच में फर्क आया है? या आप लोग अभी तक उसी पुराने रिश्ते में हैं?
0 हां। बदलाव होता
है।बहुत होता है। मैं एक्टर के तौर पर अपने डायरेक्टर को वह स्पेस दे देता हूं,जहां
पर वह मुझे डिक्टेट कर सके। डांट सके। गाली दे सके। वह स्पेस मैं
छोड़ कर चला जाता हूं। अगर मैं अंदरूनी तौर पर ग्रो कर रहा हूं तो अनुराग भी ग्रो
कर रहे हैं। इंसान और क्रिएटिव के तौर पर हम दोनों ने ग्रो किया वे हमेशा से ही
मुझ से ज्यादा चीजें जानते थे। बुद्धिमान हैं वे। मैं
पहले से ही थोड़ा डल होकर उनके साथ काम करता हूं। आज भी हमारा रिश्ता वैसा ही है।
-इस इंडस्ट्री में
सबकी एक उम्र होती है।जब तक एक धार होती है।
0 जी सही कहां आपने।
पर जैसे मार्टिन स्कोरसिस हैं। हर नई फिल्म
के साथ वे और यंग होते जा रहे हैं। बहुत सारे डायरेक्टर और एक्टर अपनी पहली फिल्म
के खुमार में रहते हैं। मैं मानता हूं कि हमें बदलना चाहिए। आप नहीं बदलेंगे तो यह
उम्मीद न रखें कि दुनिया आपके लिए बदलेगी।
-तो समय के साथ
एक्टर कितना बदलता है?
0 बदलना ही चाहिए।
अपनी बात करूं मुझे अब चीजें करने का मौका मिला है। हां,लोग मुझ से उम्मीद कर रहे
हैं,इस बात का मुझे डर ना रहे। जिस जज्बे ने मुझे यहां तक पहुंचाया है,मैंने अपने
काम करने का वही जज्बा खत्म कर दिया तो काम करने का कोई मतलब नहीं है। लोड लेकर
मैं नहीं चलता हूं। लोड से मेरी एक्टिंग में इम्प्रूवमेंट नहीं होने वाला
है। मुझे एक किस्सा याद आया,एक बार किसी ने मुझ से कहा था कि नवाज भाई आप अपने
कपड़ो पर भी ध्यान दिया करों। मैंने कहा कि अगर कपडो़ से मेरी एक्टिंग में इम्प्रूवमेंट हो रहा है तो
मैं एक करोड़ का शूट खरीदने के लिए तैयार हूं। खैर, अभी मेरी स्ट्रगल यही है कि काम
करने की मेरी सोच में कोई बदलाव नहीं आना चाहिए। मुझ में काम करने की भूख थी। वह
भूख अगर खत्म हो गई तो मेरे पास कुछ नही बचेगा।
-आप दोस्ती और
रिश्ते दोनों चीजों को कैसे संभालते हैं?
0 रिश्तों के मामले
में मैं थोड़ा कमजोर हूं। मुझसे रिश्ते संभालें नहीं जाते हैं। सबकी यही शिकायत
रहती है। यह चीज अच्छे से संभाल लूं तो दूसरी चीज में समस्या आ जाती है। यही वजह
है कि मैंने अपनी पत्नी को बोल कर रखा है कि मेरी गलतियों को माफ करते रहना। मैं
तुम्हें थोड़ा बकवास पति मिला हूं। मुझे थोड़ा संभालते रहना। मैं उसे पांच छह साल
से यह बात बोलता आ रहा हूं। वह अभी संभाल लेती है।
-आप ऐसा क्या मिस कर
देते हैं,जिसकी वजह से आप रिश्तें संभाल नहीं पाते हैं?
जी मैं सोशल नहीं हो
पाता हूं। सामाजिक जिम्मेदारियां नहीं निभा पाता हूं। जैसे मां को समय से फोन करना
है। बहन का हालचाल पूछना है। पत्नी को फोन करना है। यह सब नहीं कर पाता हूं।
काफी समय के बाद मैं यह समझ पाया हूं।
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