रियल कॉमेडी है यह मेरे लाइफ की -गोविंदा
-अजय ब्रह्मात्मज
कैसी विडंबना है? गोविंदा जैसे कलाकारों की तारीफ हो रही है, लेकिन गोविंदा तकलीफ में हैं। उन्हें फिल्में नहीं मिल रही हैं। बीच में एक वक्त ऐसा गुजरा जब गोविंदा के पास बिल्कुल फिल्में नहीं थीं। अभी वे फिर से एक्टिव हुए हैं। होम प्रोडक्शन की ‘अभिनय चक्र’ के साथ वे शाद अली की ‘किल दिल’ में भी दिखेंगे। इनके अलावा कुछ और फिल्मों की बातें भी चल रही हैं। उन्हें दुख इस बात का नहीं है कि उनके पास फिल्में नहीं हैं। वे आहत हैं कि किसी साजिश के तहत उनके करिअर को नुकसान पहुंचाया गया। वे यहां तक कहते और मानते हैं कि उनकी अटकी या अप्रदर्शित फिल्में इसी साजिश का हिस्सा हैं। गोविंदा को अब लगता है कि राजनीति में उनका जाना सही फैसला नहीं रहा। उन्हें इस भूल की कीमत चुकानी पड़ी है। इस व्यथा और विक्षोभ के बावजूद उनकी मुस्कराहट बनी हुई हैं और आंखों की चमक में पुरानी मासूमियत छलकती रहती है।
गोविंदा हाल ही में अमेरिका और इंग्लैंड की यात्रा से लौटे हैं। उन्हें खुशी है कि दर्शक अभी तक उन्हें नहीं भूले हैं। आईफा वीकएंड समारोह के दौरान टेम्पा शहर में गोविंदा भी आकर्षण का केन्द्र रहे। विदेशी मीडिया से लेकर अमेरिकी दर्शकों तक ने उनमें रुचि दिखाई। आईफा के दौरान उनकी फिल्म ‘अभिनय चक्र’ की झलक पेश की गई। वे कहते हैं, ‘मुझे विदेशी मीडिया के पत्रकारों ने बताया कि वे मेरी फिल्में देखते हैं। मैं वहां के डीवीडी मार्केट में पॉपुलर हूं। भारत में तो सभी यही कहते रहे कि मैं आम दर्शकों का हीरो हूं, इसलिए विदेशों में मेरा बाजार नहीं है। सच्चाई कुछ और है। मुझे देश और विदेश के दर्शक समान रूप से चाहते हैं।’
अपनी फिल्म ‘अभिनय चक्र’ के प्रति वे बहुत उत्साहित हैं। उनकी राय में ‘अभिनय चक्र’ उनके करिअर की नई शुरुआत है। जिसमें वे अपनी पुरानी छवि से अलग रूप में नजर आएंगे। वे बताते हैं, ‘हम सभी अपने जीवन में एक पात्र होते हैं। हमारी भूमिकाएं निश्चित रहती हैं। अपना कर्तव्य निभाते समय वास्तव में हम अभिनय कर रहे होते हैं। फिल्म में मैं पुलिस इंस्पेक्टर बना हूं। इस भूमिका के लिए मैंने खुद को चुस्त-दुरुस्त किया है। फिल्म में एक्शन है, लेकिन साथ में कामेडी का ट्रैक चलता रहता है। हम लोगों ने डायलॉग पर काफी मेहनत की है।’
‘अभिनय चक्र’ में आशुतोष राणा खलनायक की भूमिका में हैं। लंबे समय बाद उन्हें पर्दे पर चीखते और संवाद बोलते देख कर अच्छा लगता है। गोविंदा ने फिल्म में खलनायक को लार्जर दैन लाइफ रखा है। वजह पूछने पर वे बेहिचक कहते हैं, ‘सालों पहले मैंने एक फिल्म देखी थी, जिसमें खलनायक को देखकर नफरत नहीं हुई थी। वह अच्छा लगा था। ‘अभिनय चक्र’ का खलनायक भी ऐसा ही है। आशुतोष राणा ने अपने किरदार को अच्छी तरह निभाया है।’ गोविंदा मानते हैं कि उनके होम प्रोडक्शन मंगलतारा की यह नई शुरुआत है। ‘तीन-चार साल के ठहराव के बाद मैंने यह फिल्म शुरू की है, वह बताते हैं, ‘जब मैंने 1985-86 में शुरुआत की थी तो क्या अंदाजा था कि कुछ सालों में मेरा नाम हो जाएगा और हीरो के रूप में पहचान मिल जाएगी। तब सिर्फ मेहनत की थी। फिर से मेहनत कर रहा हूं। कहते हैं कि मेहनत का फल मीठा होता है।’
पिछले कठिन दौर की वजह से गोविंदा कटु नहीं हुए हैं। उन्होंने इस दौरान आत्मनिरीक्षण किया। परिर्चितों को परखा और मित्रों की पहचान की। वे अपना अनुभव साझा करते हैं, ‘वक्त कठिन चल रहा हो तो थोड़ा संभल कर चलना चाहिए। देखना चाहिए कि पीछे कौन खड़ा है? सामने कौन है? जो लोग होशियारी करते हैं। उनकी सोच एक जगह जाकर ठहर जाती है। समय का इंतजार करें। समय सही होते ही सब कुछ सही हो जाएगा। मुझे लगता है कि मेरा समय लौट रहा है। फिल्म अच्छी बनी है। मैंने मेहनत की है। मैं फिट और सेहतमंद हो गया हूं।’ गोविंदा जैसे कलाकारों की तारीफ और गोविंदा को काम न मिलने की तकलीफ के बारे में पूछने पर वे ठठा कर हंसते हैं, ‘यह तो मेरी लाइफ की सबसे बड़ी कामेडी है। रियल लाइफ में कामेडी हो गई है। लोग कहते हैं कि फलां एक्टर गोविंदा की तरह काम करता है। बड़ा अच्छा है। अरे भाई, गोविंदा की तरह काम करने वाला इतना अच्छा है तो गोविंदा की फिल्में क्यों नहीं रिलीज हो रहीं? गोविंदा को काम क्यों नहीं मिला? बहरहाल, अब काम मिल रहा है।’
गोविंदा अपने करिअर में आए ठहराव के बावजूद संतुष्ट हैं। वे स्वीकार करते हैं कि समीक्षकों ने उन्हें कभी पसंद नहीं किया। अब भले ही उन्हें मुझ में कुछ चीजें अच्छी लगने लगी हैं। वे गर्व और संतुष्टि के साथ कहते हैं, ‘मैं तो आम दर्शकों का हीरो रहा। मुझे पर्दे पर देख कर वे झूमते थे। हीरोइनों के साथ नाचते देख कर वे खुश होते थे। सच कहूं तो मैं जिस मध्यवर्गीय परिवार से आया, वहां कोई प्लानिंग नहीं होती। मैं अपने परिवार का पहला व्यक्ति था जो निकला और यहां पहुंचा। फिल्म और राजनीति दोनों जगह रहा मैं। मेरे ऊपर अनेक जिम्मेदारियां थीं। उन्हें निभाते हुए मैं तो गांव वाला रह गया। कुछ लोग कहते हैं कि बदलते समय को मैं समझ नहीं पाया, लेकिन मैं देख रहा हूं कि जो समझ गए थे, वे भी गिरे। सब दिन होत न एक समाना ़ ़ ़ यह मान लें तो तकलीफें कम हो जाती हैं।’
आनेवाली फिल्मों में शाद अली की ‘किल दिल’ में गोविंदा खलनायक की भूमिका निभा रहे हैं। ‘हैप्पी एंडिंग’ में उनका गेस्ट एपीयरेंस है। फिर होम प्रोडक्शन की ‘अभिनय चक्र’ है। अक्षय कुमार की फिल्म ‘होलीडे’ में भी कैमियो है। अक्षय कुमार के सीनियर का रोल है। लंबे समय तक छोटी-मोटी फिल्मों में सामान्य भूमिकाओं के ऑफर से इंकार करने के बाद आखिरकार गोविंदा ने पत्नी की सलाह मान ली और उन्होंने फिल्में स्वीकार करना शुरू कर दिया है।
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