फिल्म समीक्षा : एनिमी
-अजय ब्रह्मात्मज
मुंबई के पुलिस विभाग के चार अधिकारियों को जिम्मेदारी मिली है कि वे
अंडरवर्ल्ड के चल रहे गैंगवार को समाप्त कर शहर में अमन-शांति बहाल करें।
वे अपनी शैली में इस उद्देश्य में एक हद तक सफल होते हैं, लेकिन दिल्ली से
आए सीबीआई के आला अधिकारी की जांच-पड़ताल से कुछ और बातें पता चलती हैं।
राजनीति और अंडरवर्ल्ड के तार जुड़ते दिखाई पड़ते हैं।
राजनीति, अपराध और मुंबई की पृष्ठभूमि पर अनेक फिल्में बन चुकी हैं।
आशु त्रिखा की नई पेशकश 'एनिमी' कुछ नए ट्विस्ट और टर्न के साथ आई है।
उन्होंने बार-बार देखी जा चुकी कहानियों में ही नवीनता पैदा करने कोशिश की
है। कुछ नए दृश्य गढ़े हैं। अनुभवी अभिनेताओ को मुख्य किरदार सौंपा है।
ड्रामा और एक्शन का स्तर बढ़ाया है। फिर भी 'एनिमी' अपनी सीमाओं से निकल
नहीं पाती।
इस फिल्म में हालांकि अनेक किरदार हैं, लेकिन गौर करें तो मुख्तार के
इर्द-गिर्द ही कहानी चलती है। मुख्तार की भूमिका में जाकिर हुसैन ने अपना
श्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। वे उम्दा अभिनेता हैं। मिले हुए अच्छे, साधारण
और बुरे मौके में भी वह कुछ नया कर जाते हैं। उनके चरित्र को गढ़ने में
लेखक-निर्देशक ने मेहनत भी की है।
'एनिमी' में सुनील शेट्टी, मिथुन चक्रवर्ती, जॉनी लीवर, के के मेनन और
महाअक्षय ने अपने किरदारों को जीवंत करने की भरपूर कोशिश की है। जॉनी लीवर
अभिनय की अपनी आदतों से इस भिन्न किरदार में भी बाज नहीं आते। के के मेनन
और सुनील शेट्टी की मेहनत दिखाई पड़ती है। फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती और
उनके पुत्र महाअक्षय पर विशेष ध्यान दिया गया है। जहां पिता मिथुन के लिए
सब कुछ आसान रहा है, वहीं बेटा महाअक्षय हर दृश्य में जूझते नजर आते हैं।
आठवें-नौवें दशक की मारधाड़ की मसाला फिल्मों की शैली में बनी ऐसी
फिल्मों के दर्शक आज भी मौजूद हैं। उन्हें यह फिल्म भाएगी, लेकिन आशु
त्रिखा को अपनी प्रतिभा का उपयोग कुछ बेहतर विषयों के चित्रण करना चाहिए।
अवधि-129 मिनट
** दो स्टार
Comments
What i admired most about the portrayal of Unit 9 was the realistic and raw feel of emotion and camaraderie amongst the officers. 'Brothers of the sword' of sorts, whether it was the maturity of a boy to a man in the size of his pegs or an accusation being filed each man backs the other up. Unit 9 functions like the 3 musketeers except there are 4 of them. They are best of friends personally and professionally. Unity is strength here as well as all for one and one for all is the spirit amongst them. Eklavya's friendship with Naeem goes back to their childhood days a bond which is strong and powerful. Mukhtar the Don is now behind bars but the gang war continues, with a reputation and possible votes at stake the Centre decides to send in a specialist. Throwing gasoline over an already raging fire and in enters Mithun Chakraborty as Yugantar Sharma to temper the situation in Mumbai city. Here's where the twist in the tale takes places as he soon realizes who those 4 masked bandits are and the cat and mouse chase begins. Unit 9 here are the perpetrators and the investigators. It's always a treat to watch Dada on screen, the most underrated cinema legend in his own right I thoroughly enjoyed how he cracks the whip singly on each member of Unit 9.
The story boils down to an intense police drama with a mixed bag of emotions from belonging to distrust to the literal taking a bullet for a brother. A sensational shootout results in the killing of Naeem Sheikh (KK Menon) as well as members of the don’s gang in the cross fire. A vast array of emotions are showcased here from internal confusion, shock and extreme anger. Members of Unit 9 reach the spot to see their fallen comrade. Grief plus arguing with CBI man Yuganthar Sharma begins and from a blame game this develops in to a quest as the men now are determined to get justice for the killing of their fallen comrade. The matter at hand and prime focus is to bring to justice the dreaded Don.
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