सैटेलाइट राइट से मिल रहे हैं पैसे
कुछ साल पहले तक फिल्मों के संगीत का बाजार चढ़ा हुआ था। म्यूजिक कंपनियां फिल्मों के म्यूजिक राइट के लिए अधिकाधिक रकम दे रही थीं। याद होगा कि सिर्फ म्यूजिक के आधार पर ही आशिकी जैसी फिल्म बनी थी और टी सीरीज फिल्म निर्माण में उतर आया था। बाद में तो सभी म्यूजिक कंपनियों ने फिल्म निर्माण में कदम रखा। उन्हें लगता था कि म्यूजिक राइट के लिए मोटी रकम दे ही रहे हैं तो कुछ और रुपए लगा कर निर्माता ही बन जाएं। धीरे-धीरे फिल्मों में म्यूजिक का असर कम हुआ। दरअसल, फिल्मों का बाजार हमेशा बदलता रहता है। उसी के आधार पर उसका निवेश और व्यापार भी बदलता है।
पिछले कुछ सालों में फिल्मों के सैटेलाइट राइट से निर्माताओं को मोटी रकम मिलने लगी है। इसकी शुरुआत जब वी मेट और गजनी जैसी फिल्मों से हुई। कलर्स चैनल नया-नया आया था। उसने जब वी मेट के सैटेलाइट राइट लेने के बाद उसका लगातार प्रसारण किया। पॉपुलर फिल्म को घरों में देखने के लिए दर्शक लौटे और फिल्म ट्रेड का एक नया ट्रेंड विकसित हुआ। गजनी के सैटेलाइट राइट की ऊंची कीमत ने सभी को चौंका दिया था। पिछले साल प्रकाश झा की राजनीति का सैटेलाइट राइट 25 करोड़ में बिका, तो निर्माताओं ने इधर ध्यान देना शुरू किया। उन्होंने इसे कमाई का ठोस जरिया समझा और सैटेलाइट के अनुसार फिल्मों की काट-छांट शुरू कर दी।
भारत में टीवी और सैटेलाइट के जरिए फिल्म प्रसारण के अलग नियम हैं। माना जाता है कि टीवी से प्रसारित हो रही फिल्में सभी उम्र के दर्शक बेरोक- टोक देख सकते हैं, इसलिए एडल्ट, न्यूड और वायलेंट किस्म की फिल्मों का प्रसारण नहीं किया जा सकता या वैसे दृश्यों पर कैंची चल जाती है। निर्माता अपनी फिल्मों को टीवी प्रसारण के अनुकूल बनाने के लिए वायलेंट और सेक्सुअल दृश्यों को हटा देते हैं। यहां तक कि गालियां भी निकाल दी जाती हैं। थिएटर प्रदर्शन में पॉपुलर हो चुकी फिल्मों को इस तरह टीवी पर पर्याप्त दर्शक मिलते हैं, इसलिए निर्माता सैटेलाइट प्रसारण की शतरें को मानने से नहीं हिचकते।
अब तो निर्माता फिल्मों की शूटिंग भी अलग-अलग करने लगे हैं ताकि सैटेलाइट के लिए बेचने में अधिक दिक्कत न हो। देल्ही बेली और मर्डर 2 हाल में सफल हुई फिल्में हैं। दोनों फिल्मों के थिएटर और सैटेलाइट वर्जन अलग हैं। इनके निर्माताओं ने पहले ही अपनी फिल्मों की शूटिंग में यह सावधानी बरत ली थी। मोहित सूरी ने फिल्म के अंतरंग दृश्यों को सैटेलाइट के लिए उतना उत्तेजक नहीं रखा, तो देल्ही बेली की गालियों को डबिंग में हल्का कर दिया गया। ऐसा माना जा रहा है कि अब निर्माता पहले से ही दो वर्सन शूट कर लिया करेंगे। थिएटर और सैटेलाइट की फिल्में अलग-अलग होंगी। सैटेलाइट राइट के मद में निर्माताओं को मिल रही मोटी रकम ने उन्हें इस तरह की फेरबदल के लिए बाध्य किया है। ताजा खबर है कि राकेश रोशन की आगामी फिल्म कृष 2 के सैटेलाइट राइट फिल्म आरंभ होने से पहले बिक गए हैं। ऐसे ही बुढ्डा होगा तेरा बाप को रिलीज से पहले ही सैटेलाइट राइट से इतनी रकम मिल गई थी कि औसत बिजनेस करने पर भी फिल्म हिट हो गई। मोटे तौर पर इन दिनों निर्माताओं को फिल्म की लागत की 30 से 40 प्रतिशत रकम सैटेलाइट राइट से मिल जा रही है। कुछ फिल्मों को तो लागत की 50 से 60 प्रतिशत तक रकम मिल रही है। वह दिन दूर नहीं, जब इस ट्रेंड की वजह से सारे टीवी चैनल फिल्म निर्माण में उतर आएं। ठीक वैसे ही, जैसे कभी म्यूजिक कंपनियां फिल्में बनाने लगी थीं।
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