फिल्म समीक्षा : शागिर्द
भ्रष्ट है पूरा तंत्र
तिग्मांशु धूलिया की शागिर्द पुलिस विभाग, राजनीति और अपराध जगत की मिलीभगत का सिनेमाई दस्तावेज है। उन्होंने दिल्ली शहर में एकऐसी दुनिया रची है, जिसमें सभी भ्रष्ट हैं।
अपराधी तो आचरण और कर्म से भ्रष्ट और गैरकानूनी गतिविधियों में संलग्न होते हैं। शागिर्द में पुलिस अधिकारी और राजनीतिज्ञ में भ्रष्टाचार में लिप्त दिखाए गए हैं। हनुमंत सिंह नीडर और निर्भीक पुलिस अधिकारी हैं। एक तरफ वे राजनीतिज्ञ के मोहरे के तौर पर काम करते हैं तो दूसरी ओर उनके हाथ अपराधियों से भी मिले हुए हैं। वे अपराधियों को पकड़ते और उनका सफाया करते हैं, लेकिन साथ ही उन्हें संरक्षण देकर वसूली भी करते हैं। आश्चर्य नहीं कि उनका पूरा महकमा इस कदाचार में शामिल है। हां, वे पुरानी हिंदी फिल्मों के मधुर गीतों के दीवाने हैं। उन्हें फिल्मों की रिलीज का साल, गीतकार, संगीतकार और गायकों तक के नाम याद रहते हैं। इस भ्रष्ट पुलिस अधिकारी को अपने परिवार की सुरक्षा और भविष्य की चिंता भी रहती है। वह उन्हें न्यूजीलैंड में बसने के लिए भेज देता है। पुलिस की नौकरी से त्यागपत्र देकर वह भी न्यूजीलैंड पहुंचे इसके पहले ही खेल बिगड़ जाता है। उसका युवा सहकर्मी या यों कहें कि शागिर्द उससे अधिक भ्रष्ट चाल चलता है।
तिग्मांशु धूलिया की दुनिया में कोई भी दूध का धुला नहीं है। हनुमंत के बीवी-बच्चे जरूर सामान्य नागरिक हैं। बाकी सब के सब शुरू से आखिर तक किसी न किसी अपराध में शामिल हैं। और जैसा कि हिंदी फिल्मों में होता है.. इस फिल्म में भी सारे किरदार एक-एक कर एक-दूसरे के हाथों मारे जाते हैं। वे परस्पर साजिशों के शिकार होते हैं।
शागिर्द में जाकिर हुसैन और अनुराग कश्यप ने उल्लेखनीय अभिनय किया है। जाकिर तो हैं ही मंझे कलाकार.. उन्हें कभी-कभी ही ठोस किरदार मिल पाते हैं। वे ऐसे मौकों पर कभी नहीं चूकते। पहली बार किसी फिल्म में एक सुपरिभाषित किरदार निभा रहे अनुराग कश्यप में एक किस्म की रवानगी है। उन्होंने बंटी भैया के किरदार में ढलने की सुंदर कोशिश की है। नाना पाटेकर को ऐसे झक्की किरदार के रूप में हम कई फिल्मों में देख चुके हैं। शागिर्द के तौर पर मोहित अहलावत निराश नहीं करते।
तिग्मांशु धूलिया अपने कलाकारों से काम निकालना जानते हैं। वे महीन सी कहानी में भी रोचक ड्रामा बुनते हैं, लेकिन ऐसी फिल्मों में उनकी योग्यता का सही इस्तेमाल नहीं हो पाता। तिग्मांशु को मिले बेहतर मौके और बेहतरीन फिल्मों का हमें इंतजार है।
रेटिंग- ** दो स्टार
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