तैयार हो रही है एडल्ट शो की जमीन
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के फैसले के मुताबिक 17 नवंबर से बिग बॉस और राखी का फैसला टीवी शो अपने एडल्ट कंटेंट की वजह से रात के ग्यारह बजे के बाद ही प्रसारित होने लगे। स्वाभाविक रूप से इस सरकारी फैसले पर अलग-अलग किस्म की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। एक समूह पूछ रहा है कि क्यों बिग बॉस और राखी का फैसला ही प्राइम टाइम से बाहर किए गए, जबकि कई सीरियलों और दूसरे टीवी शो में आपत्तिजनक एडल्ट कंटेंट होते हैं। अब तो टीवी न्यूज चैनल प्राइम टाइम पर सेक्स सर्वेक्षण तक पेश करते हैं और विस्तार से सेक्स की बदलती धारणाओं और व्यवहार का विश्लेषण करते हैं। ऐसी स्थिति में दो विशेष कार्यक्रमों को चुनकर रात ग्यारह के बाद के स्लॉट में डाल देने को गलत फैसला माना जा रहा है। वहीं दूसरा समूह सरकारी फैसले का समर्थन करते हुए बाकी सीरियल और शो पर भी शिकंजा करने की वकालत कर रहा है। इस समूह के मुताबिक, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ लोग अश्लीलता परोसते हैं और दर्शकों को उत्तेजित कर अपने शो की टीआरपी बढ़ाते हैं। प्राइम टाइम पर आ रहे इन कार्यक्रमों के दौरान बच्चे जागे रहते हैं, इसलिए उन्हें रात के ग्यारह के बाद धकेल कर सरकार ने सही काम किया है।
कुछ महीनों और सालों के गैप के बाद किसी कार्यक्रम पर विवाद होने के पश्चात ऐसी बहसें आरंभ हो जाती हैं। दो पक्ष बन जाते हैं। तर्क-वितर्क का सिलसिला शुरू हो जाता है। दरअसल.., पिछले कुछ सालों में टीवी और फिल्म के कंटेंट में तेजी से बदलाव आया है। यह बदलाव किसी घोषणा और एजेंडा के तहत नहीं आया है। दर्शकों का एक्सपोजर बढ़ा है और अब कई परिवार में पुरानी वर्जनाएं नहीं रह गई हैं। अब परिवार के वयस्क सदस्य एक साथ बैठकर भी एडल्ट कंटेंट की फिल्में और टीवी शो देखते हैं। समाजशास्त्री तय करेंगे कि यह सामाजिक विकास है या पतन? सच्चाई यह है कि दर्शक पहले से अधिक उदार और खुली सोच के हो गए हैं।
निश्चित ही टीवी चैनलों के प्राइम टाइम पर बच्चे जागे रहते हैं और किशोर मस्तिष्क पर एडल्ट कंटेंट का बुरा असर हो सकता है, लेकिन इस संदर्भ में विचारणीय है कि आज भी परिवार में रिमोट किसके हाथ में रहता है। अब भी परिवार के मुखिया, गार्जियन या माता-पिता ही रिमोट के बटन दबाते हैं। बच्चों के हाथ में रिमोट दिया भी जाता है तो उनके लिए कार्टून शो या चिल्ड्रेन प्रोग्राम देखने की छूट मिलती है। बच्चे बिग बॉस या राखी का फैसला परिवार के वयस्क सदस्यों के साथ ही देखते हैं। वास्तव में भारतीय समाज में वयस्क दर्शकों का बड़ा समूह ऐसे कार्यक्रमों में रुचि लेता है। वह अपनी उत्तेजना यहीं से हासिल करता है। वयस्कों की संगत में ही बच्चे एडल्ट कंटेंट से वाकिफ होते हैं। अधिकांश घर-परिवारों में टीवी दर्शन का कोई अनुशासन नहीं होता। न ही परिवार के सभी सदस्यों की रुचि का खयाल रखते हुए शो और सीरियल देखने का समय तय किया जाता है। चैनल सर्फिंग करते-करते जहां निगाह अटक जाती है, वही शो चलने लगता है। बताने की जरूरत नहीं कि जिसके हाथ में रिमोट है, उसकी निगाहें कहां अटकती हैं।
हम भले ही खुश हो लें कि रात के ग्यारह के बाद बिग बॉस और राखी का फैसला प्रसारित होने से हमारे बच्चे एडल्ट प्रदूषण से बच जाएंगे, लेकिन यकीन मानिए कि इससे प्राइम टाइम का विस्तार होगा। चूंकि ग्यारह के बाद भी इन कार्यक्रमों को दर्शक मिलेंगे, इसलिए ग्यारह के बाद का समय भी प्राइम टाइम हो जाएगा। सच का सामना और कहीं तो होगा भी ग्यारह के बाद प्रसारित होते थे, फिर भी उनकी टीआरपी अच्छी रही। ग्यारह के बाद बिग बॉस और राखी का फैसला के प्रसारण से वह जमीन तैयार हो रही है, जिस पर एडल्ट कार्यक्रमों के बीज डाले जाएंगे। उसे सुरक्षित समय बताकर पोर्नो और एडल्ट फिल्म, चैनल और शो का प्रसारण आरंभ हो सकता है। देश में ऐसे कार्यक्रमों के दर्शक तैयार बैठे हैं। वैसे इसमें बुराई भी नहीं है। पोर्नो और प्लेब्वॉय किस्म के शो के लिए मौजूद दर्शकों की चाहत जरूरत और बाजार को देखते हुए समाजशास्त्रियों को ऐसा रास्ता खोजना चाहिए कि कैसे एडल्ट शो प्रसारित किए जा सकें। उन्हें ग्यारह के बाद ठेल कर या टीवी से निकाल कर काम नहीं चल सकता। अब उस नजरिए की आवश्यकता है, जो ऐसे कार्यक्रमों के दर्शकों की जरूरत समझ कर ठोस कदम उठा सके।
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