कश्यप बंधु की कामयाबी

कश्यप बंधु की कामयाबी


कश्यप बंधु की कामयाबी

दस सितंबर को अभिनव सिंह कश्यप की फिल्म दबंग देश-विदेश में रिलीज हुई और पहले ही दिन दर्शकों की भीड़ की वजह से हिट मान ली गई। ईद के मौके पर रिलीज हुई सलमान खान की इस फिल्म के प्रति पहले से दर्शकों की जिज्ञासा बढ़ी थी। संयोग ऐसा रहा कि फिल्म ने आम दर्शकों को संतुष्ट किया। यह फिल्म मल्टीप्लेक्स के साथ सिंगल स्क्रीन थिएटर में भी चल रही है। दबंग की कामयाबी ने अभिनव को पहली ही फिल्म से सफल निर्देशकों की अगली कतार में लाकर खड़ा कर दिया है। ताजा खबर है कि उन्हें अगली फिल्मों के लिए पांच करोड़ से अधिक के ऑफर मिल रहे हैं।

शायद आप जानते हों कि अभिनव चर्चित निर्देशक अनुराग कश्यप के छोटे भाई हैं। अनुराग भी अलग किस्म से सफल हैं, लेकिन उन्हें पांच फिल्मों के बाद भी दबंग जैसी कॉमर्शियल कामयाबी नहीं मिली है। वे ऐसी सफलता की बाट जोह रहे हैं, लेकिन दूसरे स्तर पर उनकी कामयाबी भी कई फिल्मकारों के लिए ईष्र्या का कारण बनी हुई है। वे अपनी विशेष फिल्मों की वजह से मशहूर हैं।

जिस हफ्ते अभिनव की फिल्म दबंग देश-विदेश में रिलीज हुई। ठीक उन्हीं दिनों अनुराग की फिल्म दैट गर्ल इन येलो बूट्स वेनिस के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित की गई। अगले हफ्ते यह फिल्म 19 सितंबर को टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित और प्रशंसित हुई। अनुराग भारत की युवा पीढ़ी के ऐसे निर्देशकों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो भारतीय सिनेमा को इंटरनेशनल सिनेमा के समकक्ष लाने की कोशिश में लगे हैं। देव डी की कॉमर्शियल कामयाबी के बावजूद अनुराग ने दैट गर्ल इन येलो बूट्स जैसी छोटी और सार्थक फिल्म बनाई और बताया कि सारे युवा निर्देशक स्टार और बिग बजट की गिरफ्त में नहीं आते।

कहते हैं कि परिवार और परिवेश का असर हमारी क्रिएटिव सोच पर पड़ता है। एक ही परिवार के छोटे-बड़े भाई अभिनव और अनुराग की सोच की भिन्नता पर गौर करें, तो पाएंगे कि एक ही परिवेश और परिवार से आने के बावजूद सिनेमा के प्रति दोनों का अप्रोच बिल्कुल अलग है। आरंभ में लगभग एक जैसे काम के साथ आगे आए अभिनव और अनुराग में यह भिन्नता पिछले पांच-छह सालों में आई है। अनुराग अपने आक्रामक व्यक्तित्व और जुझारू स्वभाव की वजह से हमेशा चर्चा में रहे, जबकि उनके छोटे भाई अभिनव को अधिक व्यावहारिक और सोशल स्वभाव का माना जाता है। अभिनव की शुरू से कोशिश रही कि उन्हें अनुराग की प्रतिलिपि या प्रतिछाया नहीं माना जाए। इस कोशिश में उन्होंने एक अलग राह चुनी और दबंग तक आ गए। अभी कहना मुश्किल है कि दबंग ही अभिनव की सोच है। उनके करीबी जानते हैं कि दबंग उनकी कथा के ढांचे पर सलमान खान द्वारा खड़ी की गई फिल्म है। इसे सलमान ने अपनी तरह से बनाया और पेश किया है। इस फिल्म के निर्देशक अभिनव जरूर हैं, लेकिन दबंग सौ फीसदी उनकी फिल्म नहीं कही जा सकती। फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश के लिए अभिनव ने दबंग के रूप में शुल्क चुकाया है। उम्मीद की जा सकती है कि उनकी अगली फिल्में उनके स्वभाव और सोच की होंगी। यह खुशी की बात है कि बनारस के एक गैरफिल्मी मध्यवर्गीय परिवार से आए दो भाई आज अपने-अपने ढंग से फिल्म इंडस्ट्री में कामयाब हो चुके हैं। उनकी कामयाबी हजारों युवकों को प्रेरित करेगी।


Comments

Unknown said…
कमाल करते हो अजय जी। दबंग देखने के तुरंत बाद मैंने भी कहा था कि लगता नहीं इस फिल्म की हर रील पर अभिनव की पकड़ रही है। आपने इस बात को और पुष्ट किया है। अभिनव से मुलाकात ने ये बताया था कि वह मसाला फिल्मों के निर्देशक हो न हों, दिमाग को खुराक देने वाला सिनेमा बनाना जरूर चाहेंगे। उनकी अगली फिल्म का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा, शायद इस बार शूटिंग के वक्त वीडियो असिस्ट के सामने की कुर्सी पर कोई सुपरस्टार नहीं अभिनव ही बैठे दिखेंगे।
Unknown said…
अजय जी आपने एक बार आपने अनुराग कश्यप का साक्षात्कार प्रकाशित किया था जिसमें उनके जीवन से सम्बंधित हर छोटी बड़ी बातें थीं और वे कैसे संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते रहे | तब मुझे अहसास हुआ था कि वे हममें से अलग नहीं हैं| मुझे अत्यधिक ख़ुशी होगी यदि आप ऐसा ही साक्षात्कार अभिनव कश्यप का भी लें उनके बारे में जान्ने को उत्सुक हूँ|
Unknown said…
This comment has been removed by the author.
Parul kanani said…
vakai vo kamyabi ke asli haqdaar hain :)
बहुत बढ़िया!
--
हमारे भी सामान्यज्ञान में बढ़ोत्तरी हो रही है!
RAJESH S. KUMAR said…
मेरा मानना है, दबंग साउथ सि‍‍नेमा की एक चलताउ नकल भर है. रही बात सफलता की तो यह जरूर अप्रत्‍याशि‍त है

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

सिनेमालोक : साहित्य से परहेज है हिंदी फिल्मों को